WASINGTON. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘क्वाड’ शिखर सम्मेलन में कहा कि हमारा संदेश स्पष्ट है कि ‘क्वाड’ कायम रहेगा, सहायता करेगा, साझेदारी करेगा और पूरक बनेगा. उन्होंने किसी देश का नाम लिये बगैर कहा कि क्वाड किसी के खिलाफ नहीं है, बल्कि यह नियमों पर आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था और संप्रभुता के सम्मान के पक्ष में है. स्वतंत्र, खुला, समावेशी और समृद्ध हिंद-प्रशांत हमारी प्राथमिकता है. परोक्ष रूप से उनका इशारा चीन की ओर था. चीन का दक्षिण चीन सागर और पूर्वी चीन सागर में कई देशों से विवाद है. इससे पहले, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने डेलावेयर में अपने गृहनगर विलमिंगटन में ‘क्वाड’ शिखर सम्मेलन की मेजबानी की.
इसमें पीएम मोदी, ऑस्ट्रेलिया के पीएम एंथनी अल्बानीज और जापान के पीएम फुमियो किशिदा ने भाग लिया. बैठक के बाद ‘क्वाड’ नेताओं ने एक संयुक्त घोषणापत्र जारी किया, जिसमें कहा गया कि चार देशों का यह समूह अच्छे मकसद से बनाया गया है और रणनीतिक रूप से पहले से कहीं अधिक एकजुट है. यह हिंद-प्रशांत क्षेत्र को कई दशकों तक मजबूत करेगा. ‘क्वाड’ शिखर सम्मेलन में चीन को लेकर बाइडेन ने अनौपचारिक टिप्पणी की, लेकिन उन्हें पता नहीं था कि माइक चालू है. हालांकि, उनकी इस टिप्पणी ने सबित कर दिया कि अमेरिका चीन की उभरती चुनौती के प्रति कितना गंभीर है. बाइडेन ने कहा कि चीन क्वाड देशों की परीक्षा ले रहा है. वह लगातार आक्रामक व्यवहार कर रहा है और आर्थिक सहित कई मोर्चों पर पूरे क्षेत्र में हमारी परीक्षा ले रहा है. वहीं, क्वाड के नेताओं ने चीन का जिक्र करते हुए कहा कि समूह किसी भी ऐसी अस्थिरकारी कार्रवाई का दृढ़ता से विरोध करता है, जो बल पूर्वक यथास्थिति को बदलने की कोशिश करती है.
अमेरिका ने भारत को लौटायीं 297 कलाकृतियां
अमेरिका ने प्रधानमंत्री मोदी की यात्रा के दौरान 297 कलाकृतियां भारत को सौंपी हैं, जिन्हें तस्करी कर देश से बाहर ले जाया गया था. भारत को लौटायी गयीं कलाकृतियों में 10-11वीं शताब्दी ईसा पूर्व की बलुआ पत्थर से निर्मित एक ‘अप्सरा’, 15-16वीं शताब्दी ईसा पूर्व में कांस्य से निर्मित एक जैन तीर्थंकर, पूर्वी भारत का टेराकोटा का एक फूलदान शामिल हैं. अन्य कलाकृतियों में कांसे की भगवान गणेश की मूर्ति, भगवान बुद्ध की प्रतिमा, कांसे की भगवान विष्णु की प्रतिमा भी शामिल हैं.