Jamshedpur .बिष्टुपुर स्थित के रोड श्रीलेदर्स शोरूम में गुरुवार को नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 128 वीं जयंती पर आयोजित श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया. इस अवसर पर श्रीलेदर्स के पार्टनर शेखर डे ने कहा कि जिस व्यक्ति की जयंती आज हम मना रहे हैं, उस महान व्यक्तित्व की गाथा एक दिवस और एक समारोह में संपूर्ण करना असंभव है. अदम्य साहस और अद्भुत विचारधारा के स्वामी सुभाष चंद्र बोस सिर्फ एक स्वतंत्रता सेनानी नहीं थे, बल्कि तत्कालीन साम्राज्यवाद और अन्याय के विरुद्ध एक ऐसे वीर सिपाही थे, जो लड़कर और छीन कर आजादी प्राप्त करना चाहते थे. घुटनों पर बैठकर अंग्रेजी हुकूमत के आगे हाथ फैलाना वो नहीं चाहते थे. श्रीलेदर्स के पार्टनर शेखर डे ने कहा कि आजादी के 75 वर्षों बाद भी महिलाओं पर कई सारी पाबंदियां हैं.
सुभाष चंद्र बोस ने आजादी के कई वर्ष पूर्व ही इन पाबंदियों को तोड़ दिया था. अस्त्र और शस्त्र चलाने की ट्रेनिंग देकर महिलाओं की फौज तैयार की थी. सुभाष चंद्र बोस न सिर्फ सैन्य नीति बल्कि साम्राज्यवाद इतिहास और अर्थशास्त्र विषय के भी अच्छे जानकार थे. समाज के हर वर्ग और उनकी जरूरतों के विषय में गहन चिंतन करते थे. अपनी यात्रा के दौरान सन् 1928 में वो हमारे लौह नगरी भी आए थे तब मजदूरों के हित में कुछ सुझाव उन्होंने टाटा स्टील प्रबंधकों को दी, जिसे अहम समझते हुए कुछ वर्षों बाद उसे स्वीकार कर प्रतिस्थापित कर लिया गया.
सुभाष चंद्र बोस ने आजाद देश के विकास की पूरी रूपरेखा तैयार कर रखी थी. आज अगर उनकी नीतियों और विचारों को अमल में लाया जाता, तो परिस्थितियां कुछ और होती. उन्होंने कहा कि आज भी नेताजी का सही मूल्यांकन नहीं हुआ है.