नयी दिल्ली. निर्वाचन आयोग ने लोकसभा और राज्य विधानसभा चुनावों के नतीजे आने के बाद इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) में छेड़छाड़ के आरोपों की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने वाले असंतुष्ट उम्मीदवारों को किसी भी मतदान केंद्र के ईवीएम मशीन से प्रयोगिक मतदान या प्रयोगिक तौर पर वीवीपैट की पर्चियों की जांच सहित विभिन्न विकल्प दिए हैं.
निर्वाचन आयोग द्वारा मंगलवार को जारी मानक परिचालन प्रक्रिया (एसओपी) के मुताबिक चुनाव में दूसरे और तीसरे स्थान पर आने वाले उम्मीदवारों को बड़ी संख्या में उनके चुने हुए मतदान केंद्रों के ईवीएम की जांच करने का विकल्प दिया गया है. निर्वाचन आयोग ने कहा कि नियंत्रित जांच की पुरानी परिपाटी से आगे जाने से जांच और सत्यापन प्रक्रिया संबंधी कोई पूर्वाग्रह या छेड़छाड़ की संभावना या आशंका समाप्त हो जाती है.
निर्वाचन आयोग को भाजपा और कांग्रेस सहित आठ असंतुष्ट उम्मीदवारों से आवेदन प्राप्त हुए हैं, जिनमें चार जून को लोकसभा चुनाव के परिणाम घोषित होने के बाद ईवीएम में लगे माइक्रो-कंट्रोलर चिप्स में कथित छेड़छाड़ या बदलाव की जांच कराने का अनुरोध किया गया है.
सुप्रीम कोर्ट ने ईवीएम में छेड़छाड़ की आशंका को ‘तथ्यहीन’ करार देते हुए मतपत्र से मतदान कराने की पुरानी प्रक्रिया बहाल करने के वास्ते दाखिल याचिकाओं को 26 अप्रैल को खारिज कर दिया था. शीर्ष अदालत ने लेकिन साथ ही दूसरे और तीसरे स्थान पर रहने वाले असंतुष्ट उम्मीदवारों के लिए रास्ता खोलते हुए उन्हें लिखित आवेदन एवं शुल्क के साथ प्रति विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र में पांच प्रतिशत ईवीएम के ‘माइक्रो कंट्रोलर’ चिप्स की जांच एवं सत्यापन कराने की अनुमति दी थी.