Ranchi. झारखंड हाइकोर्ट ने सरायकेला की खरकई नदी डैम परियोजना व धनबाद रिंग रोड के निर्माण को लेकर दायर जनहित याचिकाअों पर फैसला सुनाया. चीफ जस्टिस एमएस रामचंद्र राव व जस्टिस गौतम कुमार चौधरी की खंडपीठ ने मामले में प्रार्थी द्वारा मांगी गयी राहत नहीं देते हुए दोनों जनहित याचिकाअों को खारिज कर दिया. खंडपीठ ने अपने आदेश में सर्वोच्च न्यायालय के एक फैसले का उदाहरण देते हुए कहा कि यह देखा गया कि हमारे संविधान के तहत विधायिका, कार्यपालिका व न्यायपालिका सभी के पास संचालन के अपने व्यापक क्षेत्र हैं और आम तौर पर राज्य के इन अंगों में से किसी के लिए दूसरे के क्षेत्राधिकार का अतिक्रमण करना उचित नहीं है. अन्यथा संविधान में नाजुक संतुलन बिगड़ जायेगा और प्रतिक्रिया होगी.
यह कहा गया कि न्यायाधीशों को अपनी सीमाएं जाननी चाहिए और सरकार चलाने की कोशिश नहीं करनी चाहिए और शक्तियों के पृथक्करण के सिद्धांत का पालन किया जाना चाहिए. यह दोहराया गया कि न्यायालय को प्रशासनिक अधिकारियों को शर्मिंदा नहीं करना चाहिए और यह महसूस करना चाहिए कि प्रशासनिक अधिकारियों के पास प्रशासन के क्षेत्र में विशेषज्ञता है, जबकि न्यायालय के पास नहीं है. खंडपीठ ने यह भी कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने न्यायिक समीक्षा की शक्ति का प्रयोग करते हुए कार्यकारी कार्यों को करने का प्रयास करनेवाले न्यायाधीशों की प्रथा की भी निंदा की है और न्यायालयों से न्यायिक संयम बरतने व कार्यकारी या विधायी क्षेत्र में अतिक्रमण करने से बचने के लिए कहा है.
सात जनवरी को मामले में सुनवाई पूरी होने के बाद खंडपीठ ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. इससे पूर्व प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता श्रेष्ठ गौतम ने पैरवी की थी. उल्लेखनीय है कि प्रार्थी संतोष कुमार सोनी ने जनहित याचिका दायर की थी. याचिका में कहा गया था कि परियोजना में 6100 करोड़ से अधिक की राशि खर्च हो चुकी है. यदि निर्माण पूरा नहीं किया गया, तो काफी नुकसान होगा. परियोजना के लिए केंद्र सरकार राशि दे रही है. काम पूरा नहीं होने पर राज्य सरकार को दोगुनी राशि लौटानी पड़ेगी. इतनी बड़ी राशि खर्च करने के बाद खरकई डैम प्रोजेक्ट को वर्ष 2020 में बंद कर दिया गया है. वर्ष 1978 में एकीकृत बिहार, ओड़िशा व पश्चिम बंगाल सरकार के बीच एक त्रिपक्षीय समझौता हुआ था.
इस समझौते के तहत खरकई डैम परियोजना शुरू की गयी थी. पूर्व में सुनवाई के दौरान जल संसाधन विभाग की ओर से शपथ पत्र दायर कर बताया गया था कि जमीन अधिग्रहण का स्थानीय ग्रामीणों द्वारा विरोध किया जा रहा है. इस कारण खरकई डैम प्रोजेक्ट रुका हुआ है. वहीं धनबाद रिंग रोड निर्माण को लेकर प्रार्थी अजय नारायण लाल ने जनहित याचिका दायर की थी. इसमें बताया गया था कि 16 मई 2011 को राज्य सरकार ने धनबाद में रिंग रोड बनाने के लिए अधिसूचना निकली थी. सरकार की एजेंसी झरिया पुनर्वास व विकास प्राधिकार को रिंग रोड बनाने की जिम्मेदारी मिली थी, लेकिन रिंग रोड के लिए कोई योजना नहीं बनायी गयी. इसका निर्माण कार्य भी 13 वर्षों के बाद भी शुरू नहीं हुआ है. वर्ष 2011 में ही धनबाद के धनसार, झरिया, मनाइटाड़ आदि जगह में लोगों की जमीन ली गयी थी. जमीन अधिग्रहण के मद में सरकार की ओर से 76 करोड रुपये खर्च भी किया गया था.