New Delhi. सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य विवेक तन्खा की ओर से दायर मानहानि मामले में केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान और दो अन्य भाजपा नेताओं के खिलाफ जमानती वारंट की तामील पर सोमवार को रोक लगा दी. न्यायमूर्ति ऋषिकेश रॉय और न्यायमूर्ति एसवीएन भट्टी की पीठ ने मानहानि मामले को रद्द करने से इनकार करने के मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय के 25 अक्टूबर के आदेश को चुनौती देने वाली शिवराज और अन्य भाजपा नेताओं की याचिका पर तन्खा से जवाब मांगा.
पीठ ने कहा, मानहानि मामले में अदालत के समक्ष जारी कार्यवाही में याचिकाकर्ताओं की प्रभावी भागीदारी के मद्देनजर उनके खिलाफ जमानती वारंट की तामील नहीं की जाएगी. शिवराज और अन्य याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ वकील महेश जेठमलानी ने कहा कि तन्खा की शिकायत में जिन कथित बयानों का जिक्र किया गया है, वे सदन में दिए गए थे और संविधान के अनुच्छेद 194 (2) के दायरे में आते हैं. अनुच्छेद 194 (2) में कहा गया है, “किसी राज्य के विधानमंडल का कोई भी सदस्य विधानमंडल या उसकी किसी समिति में कही गई किसी भी बात या डाले गए वोट के संबंध में किसी भी अदालत में किसी भी कार्यवाही का सामना करने के लिए उत्तरदायी नहीं होगा. इसमें यह भी कहा गया है, “कोई भी व्यक्ति ऐसे विधानमंडल के सदन द्वारा या उसके अधिकार क्षेत्र के तहत किसी भी रिपोर्ट, दस्तावेज, मतदान या कार्यवाही के प्रकाशन के संबंध में अदालत में किसी भी कार्यवाही का सामना करने के लिए उत्तरदायी नहीं होगा.
जेठमलानी ने दलील दी कि ऐसा कभी नहीं सुना गया कि समन से जुड़े मामले में अदालत ने जमानती वारंट जारी किया, जिसमें पक्षकार अपने वकील के माध्यम से पेश हो सकते थे. प्रदेश उच्च न्यायालय ने तन्खा की ओर से राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा और पूर्व मंत्री भूपेंद्र सिंह के खिलाफ दायर मानहानि मामले को रद्द करने से 25 अक्टूबर को इनकार कर दिया था. तन्खा ने सुनवाई अदालत में अपनी शिकायत में कहा था कि 2021 में मध्य प्रदेश में पंचायत चुनावों से पहले मानहानिकारक बयान दिए गए थे. जबलपुर की एक विशेष अदालत ने 20 जनवरी 2024 को तीनों भाजपा नेताओं के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा-500 के तहत मानहानि का मामला दर्ज कर उन्हें तलब किया था.