Rio-D-jenerio. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को कहा कि वैश्विक संघर्षों के कारण खाद्य, ईंधन और उर्वरक संकट से ‘ग्लोबल साउथ’ के देश सबसे अधिक प्रभावित हैं और जी-20 को इसे दूर करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए. जी-20 शिखर सम्मेलन के एक सत्र को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा कि भारत में पिछले साल आयोजित जी-20 का विषय ‘‘एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य’’ इस शिखर सम्मेलन में भी उतना ही प्रासंगिक है जितना कि पिछले वर्ष था. उन्होंने कहा, ‘मैं यह कहना चाहूंगा कि वैश्विक संघर्षों के कारण खाद्य, ईंधन और उर्वरक संकट से ‘ग्लोबल साउथ’ के देश सबसे अधिक प्रभावित हैं.’ उन्होंने कहा, ‘इसलिए हमारी चर्चा तभी सफल हो सकती है जब हम ‘ग्लोबल साउथ’ की चुनौतियों और प्राथमिकताओं को ध्यान में रखें.’ ‘ग्लोबल साउथ’ का आशय कमजोर या विकासशील देशों से है.
प्रधानमंत्री ने यह टिप्पणी जी-20 के ‘सामाजिक समावेशन और भुखमरी तथा गरीबी के खिलाफ लड़ाई’ विषय पर आयोजित सत्र में की. मोदी ने वैश्विक शासन की संस्थाओं में सुधार का भी आह्वान किया. उन्होंने कहा, ‘‘जिस तरह हमने नयी दिल्ली शिखर सम्मेलन के दौरान अफ्रीकी संघ को जी-20 की स्थायी सदस्यता देकर ‘ग्लोबल साउथ’ की आवाज को बुलंद किया, उसी तरह हम वैश्विक शासन की संस्थाओं में सुधार करेंगे.’
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत ‘भुखमरी और गरीबी के खिलाफ वैश्विक गठबंधन’ के लिए ब्राजील की पहल का समर्थन करता है. उन्होंने कहा, ‘नयी दिल्ली में जी-20 शिखर सम्मेलन में लिए गए जन-केंद्रित निर्णयों को ब्राजील की अध्यक्षता के दौरान आगे बढ़ाया गया है.’उन्होंने कहा, ‘यह बहुत संतोष की बात है कि हमने एसडीजी (सतत विकास लक्ष्य) को प्राथमिकता दी. हमने समावेशी विकास, महिलाओं के नेतृत्व वाले विकास और युवा शक्ति पर ध्यान केंद्रित किया. और ‘ग्लोबल साउथ’ की आशाओं और आकांक्षाओं को पंख दिए.’प्रधानमंत्री ने कहा, ‘यह स्पष्ट है कि एक पृथ्वी एक परिवार एक भविष्य (विषय)इस शिखर सम्मेलन में भी उतना ही प्रासंगिक है जितना कि पिछले साल था.’