कोलकाता. बांग्लादेश की अदालत द्वारा हिंदू संत चिन्मय कृष्ण दास को राजद्रोह के मामले में जमानत देने से इनकार करना इस्कॉन कोलकाता ने “दुखद” बताया है. इस्कॉन कोलकाता के प्रवक्ता राधारमण दास ने कहा कि नए साल में उनकी रिहाई की उम्मीद की जा रही थी, लेकिन जमानत याचिका खारिज होने से यह मुमकिन नहीं हो सका.
चिन्मय कृष्ण दास, जो इस्कॉन के पूर्व नेता हैं, पिछले 40 दिनों से जेल में हैं. राधारमण दास ने बताया कि संत का स्वास्थ्य ठीक नहीं है. उन्होंने उम्मीद जताई कि इस आधार पर और उनके लंबे समय से जेल में रहने के कारण उन्हें जमानत मिल सकती थी.
इस्कॉन प्रवक्ता ने कहा कि दास के वकील अब उच्च न्यायालय में अपील करने की तैयारी कर रहे हैं. उन्होंने यह भी मांग की कि जब अपील की सुनवाई हो, तो अदालत के अंदर और बाहर वकीलों को पर्याप्त सुरक्षा प्रदान की जाए.
बांग्लादेश में अंतरिम सरकार के सत्ता में आने के बाद से हिंदू समुदाय और उनके पूजा स्थलों पर हमले तेज हो गए हैं. अंतरिम सरकार की कमान मोहम्मद यूनुस के हाथ में है. बताया गया कि पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के देश छोड़ने के बाद से यह स्थिति और बिगड़ी है.
चिन्मय कृष्ण दास को 25 नवंबर को ढाका के हजरत शाहजलाल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से गिरफ्तार किया गया था. अदालत में पेशी के दौरान उन्हें वर्चुअल माध्यम से उपस्थित किया गया.
राधारमण दास ने बताया कि कुछ अधिवक्ताओं द्वारा चिन्मय कृष्ण दास के वकीलों को धमकी दी गई थी कि वे उनकी पैरवी न करें. उन्होंने अंतरिम सरकार से मांग की कि अगर इस तरह की घटनाएं दोबारा होती हैं, तो इसके खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाए.
इस्कॉन कोलकाता ने इस मामले में न्याय की उम्मीद जताई है और संत की जल्द रिहाई के लिए अपने प्रयास जारी रखने की बात कही है.