
Ranchi. झारखंड हाइकोर्ट के जस्टिस आनंद सेन की अदालत ने सेवानिवृत्ति सह डेथ बेनेफिट के भुगतान को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई की. मामले की सुनवाई के दौरान प्रार्थी व राज्य सरकार के जवाब को देखते हुए अदालत ने मुख्य सचिव को व्यक्तिगत रूप से शपथ पत्र दायर करने का निर्देश दिया. अदालत ने कहा कि एक तरफ सेवानिवृत्ति सह डेथ बेनेफिट देने के लिए आवंटन नहीं दिया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर चुनावी वादा पूरा करने के लिए पैसे बांटे जा रहे हैं.
अदालत ने कहा कि शपथ पत्र में यह बताया जाये कि क्या चुनावी वादों, जैसे- मंइया सम्मान योजना आदि को पूरा करने के लिए सरकार ने सीधे तौर पर कोई नकद राशि वितरित की है? सीधे तौर पर वितरित की जानेवाली राशि की संख्या का उल्लेख वितरण की तिथि के साथ किया जाये. मामले की अगली सुनवाई के लिए अदालत ने छह फरवरी की तिथि निर्धारित की. इससे पूर्व प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता मृत्युंजय चौधरी ने पैरवी की. उन्होंने अदालत को बताया कि एक ओर तो राज्य सरकार प्रार्थी के पक्ष में निधि आवंटित नहीं कर रही है, जिसे प्राप्त करने की वह हकदार है, जबकि दूसरी ओर राज्य सरकार ने चुनावी वादों के अनुरूप मुफ्त में लाभार्थियों के बैंक खाते में सीधे तौर पर बड़ी राशि का भुगतान कर रही है.
इस तरह के भुगतान के बदले में उनसे कोई काम भी नहीं लिया है. मामले में राज्य सरकार ने शपथ पत्र दायर कर स्वीकार किया है कि प्रार्थी एक विधवा है, जिनके पति जिला पुस्तकालय चतरा में कार्यरत थे. उन्हें 7,56,000 और 11,12,584 रुपये का भुगतान किया जाना है. यह राशि उसके पति की थी, जिन्होंने 1999 से 2022 की अवधि के लिए काम किया था. चतरा के जिला शिक्षा अधिकारी ने शिक्षा विभाग से उक्त राशि के आवंटन के लिए प्रार्थना की है. स्वीकार किया गया है कि निधि आवंटित होने के बाद राशि का भुगतान किया जायेगा. उल्लेखनीय है कि प्रार्थी विधवा रतन देवी ने याचिका दायर कर अपने पति के बकाया भुगतान की मांग की है.
