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India AI Develop: भारत चैटजीपीटी, डीपसीक को देगा टक्कर, आने वाले महीनों में अपना खुद का एआई मॉडल करेगा तैयार, केंद्रीय मंत्री वैष्णव ने की घोषणा

New Delhi. केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बृहस्पतिवार को देश की एआई (कृत्रिम मेधा) महत्वाकांक्षाओं को रेखांकित करते हुए कहा कि भारत आने वाले महीनों में अपना खुद का आधारभूत मॉडल तैयार करेगा. उन्होंने कहा कि भारत स्टार्टअप और शोधकर्ताओं के उपयोग के लिए 18,693 ग्राफिक्स प्रोसेसिंग यूनिट (जीपीयू) द्वारा संचालित सबसे सस्ती कॉमन कम्प्यूट सुविधा तैयार करेगा, जिसकी मदद से चैटजीपीटी, डीपसीक आर1 और ऐसे ही दूसरे एआई मॉडल को टक्कर दी जा सकती है.

भारत का यह साहसिक कदम ऐसे समय में सामने आया है, जब चीनी कंपनी डीपसीक ने अपने एआई मॉडल से लोगों का ध्यान खींचा है. डीपसीक ने एआई के क्षेत्र में अमेरिकी कंपनियों के प्रभुत्व को चुनौती दी है. वैष्णव ने भरोसा जताया कि भारत एक ऐसा आधारभूत मॉडल बनाएगा, जो विश्वस्तरीय होगा और दुनियाभर के सर्वश्रेष्ठ मॉडल के साथ मुकाबला कर सकेगा.

भारत ने बृहस्पतिवार को अपने एआई मसौदे में अगले चरणों की घोषणा की, जिसमें शामिल बोलीदाताओं (जियो प्लेटफॉर्म्स, सीएमएस कंप्यूटर, टाटा कम्युनिकेशंस, ई2ई नेटवर्क, योटा डेटा सर्विसेज और अन्य शामिल हैं) ने 18,693 जीपीयू की पेशकश की. इसके अलावा आठ परियोजनाओं को भी मंजूरी दी गई. आईटी मंत्री वैष्णव ने भारत को वैश्विक एआई केंद्र में लाने का वादा करते हुए कई घोषणाएं की और कहा कि एक एआई सुरक्षा संस्थान शुरू किया जाएगा. उन्होंने कहा, आधुनिक तकनीक को सभी के लिए सुलभ बनाना, यही हमारे प्रधानमंत्री की आर्थिक सोच है… इस समय हमारे पास सबसे सस्ती कंप्यूटिंग सुविधा है.

डीपसीक को लेकर गोपनीयता संबंधी चिंताओं के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा कि भारत गोपनीयता संबंधी चिंताओं को दूर करने के लिए इसे भारतीय सर्वर पर ‘होस्ट’ करेगा. उन्होंने कहा कि सरकार भारत का आधारभूत मॉडल विकसित करने के लिए प्रस्ताव भी मांग रही है जो भारतीय संदर्भ, भारतीय भाषाओं, संस्कृति से जुड़ा होगा, और जहां आंकड़े हमारे देश के लिए, हमारे नागरिकों के लिए होंगे.

वैष्णव ने भरोसा दिया कि सामान्य कंप्यूट सुविधा (18,693 जीपीयू द्वारा संचालित) वैश्विक लागत मानक के मुकाबले बहुत कम होगी. यह कंप्यूट सुविधा सबसे सस्ती होगी. इसकी 40 प्रतिशत लागत सरकार वहन करेगी, जिसके बाद इसे एक डॉलर प्रति जीपीयू घंटा से भी कम कीमत पर उपलब्ध कराया जाएगा. मंत्री ने कहा कि कम से कम छह प्रमुख डेवलपर्स और स्टार्टअप हैं, जो अगले 8-10 महीनों में या इससे भी पहले आधारभूत मॉडल बना सकते हैं. इंडियाएआई मिशन के तहत सरकार ने भारत के एआई पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करने के लिए 10,372 करोड़ रुपये के परिव्यय को मंजूरी दी थी.

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