वैश्विक करोना महामारी के कारण कई ऐसे वर्ग हैं जिनका आज भी व्यवसाय एवं रोजी-रोटी प्रारंभ नहीं हो पाया है,जैसे यात्री ट्रांसपोर्ट में लिप्त कर्मचारी, होटल एवं रेस्टोरेंट में लिप्त कर्मचारी ,ब्यूटी पार्लर एवं नाई के कारोबार से जुड़े लोग ,छोटे पत्र-पत्रिकाओं में कार्यरत संवाददाता ,वकालत के पेशे में वकील एवं उनके सहयोगी l इनके अलावा कई अन्य प्रतिष्ठानों में कार्यरत अभिभावकों की रोजी-रोटी covid 19 महामारी के कारण चली गई है,जिससे अभिभावक आर्थिक परेशानी से जूझ रहे हैं l इसके बावजूद भी सरकार ऐसे अभिभावकों को राहत देने के बजाय ऑनलाइन क्लास फीस देने के लिए बाध्य कर रही है l सरकार के इस आदेश से ऐसे अभिभावक सदमे में हैं ,उन्हें एक और भय सता रहा है कि उनके बच्चों को कहीं एकमुश्त फीस देने से वंचित रहने पर प्राइवेट स्कूल प्रबंधन द्वारा प्रताड़ित न किया जाए एवं दूसरी समस्या यह है मार्च माह से ही आमदनी बंद हो जाने के कारण एकमुश्त स्कूल फीस एवं अन्य फीस भविष्य में कहां से दे पाएंगे l उनका कहना है कि ना तो उनके बच्चे ऑनलाइन क्लास कर पा रहे हैं और ना ही निजी स्कूल प्रबंधन द्वारा उच्च कोटि का ऑनलाइन क्लास कराया जा रहा है l अभिभावकों की माने तो अब ऑनलाइन क्लास सिर्फ पैसा वसूलने के लिए कोरम पूरा करने मात्र है l कई स्कूलों का ऑनलाइन क्लास में ना तो साफ आवाज आती है और न फोटो सही आती है ,शिकायत करने के बावजूद कोई सुनने वाला नहीं है lकई ऐसे अभिभावक भी हैं जिनके बच्चे निजी विद्यालय में पढ़ते हैं पर उनके पास ना तो एंड्राइड मोबाइल है और ना ही प्रत्येक माह रिचार्ज करने हेतु उनके पास पैसे हैं l पहले से बेरोजगारी एवं आर्थिक परेशानी का दंश झेल रहे हैं अभिभावकों का कहना है कि ऑनलाइन क्लास से उनके छोटे-छोटे बच्चे अर्थात यूकेजी एवं उससे ऊपर के बच्चे हैं जिनके लिए ऑनलाइन क्लास कराया जा रहा है उनके स्वास्थ्य में भी असर पड़ रहा है l च्चे आंख में जलन एवं चिड़चिड़ा होते जा रहे हैं ,जो न तो उनके स्वास्थ्य के लिए अच्छा है और ना ही अभिभावकों के पास उनके इलाज के लिए समुचित पैसे हैं और ना ही बाजार में डॉक्टर ही उपलब्ध है lऐसी स्थिति में उनका कहना है कि ऑनलाइन पढ़ाई अनिवार्य के बजाय इच्छुक के लिए (इच्छा पर आधारित) होना चाहिए ताकि वैसे अभिभावक जिनका करोना अवधि में कोई आर्थिक परेशानी ना है वे अपने बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाई दे सकेl पर सरकार को वैसे अभिभावकों को राहत दिलाने का कार्य करना चाहिए जिनके बच्चे निजी विद्यालय में तो पढ़ते हैं पर उनके पास ऑनलाइन पढ़ाई के ना तो संसाधन है और ना उनके पास ऑनलाइन पढ़ाई करने का आईडिया है l ऐसे में ऑनलाइन पढ़ाई अनिवार्य करने से उनके बच्चे ऑनलाइन पढ़ाई कर पाएंगे ?
चीखते रहे अभिभावक, आदेश निकालते रहे हेमंत सरकार एवं उनके मंत्री, मनमानी करते रहे झारखंड के निजी विद्यालय प्रबंधन
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