कोलकाता. कोलकाता हाई कोर्ट ने विश्व हिंदू परिषद (विहिप) की याचिका खारिज करते हुए फैसला सुनाया कि वे इस साल कोलकाता अंतरराष्ट्रीय पुस्तक मेले में स्टॉल नहीं लगा सकते. न्यायमूर्ति अमृता सिन्हा ने शुक्रवार को मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि यह याचिका सही प्रक्रिया के तहत दायर नहीं की गई थी. इसके साथ ही अदालत ने प्रकाशकों और पुस्तक विक्रेताओं के संगठन गिल्ड के फैसले को बरकरार रखा.
48वें अंतरराष्ट्रीय कोलकाता पुस्तक मेले में स्टॉल लगाने के लिए विहिप ने गिल्ड से अनुमति मांगी थी. गिल्ड ने यह कहते हुए अनुमति देने से इनकार कर दिया कि विहिप ने आवेदन सही तरीके से नहीं किया. गिल्ड के वकील ने अदालत में यह भी दावा किया कि विहिप कथित तौर पर “संवेदनशील” किताबें प्रकाशित करता है. हालांकि विहिप के वकील ने तर्क दिया कि उनकी संस्था ‘विश्व हिंदू वार्ता’ नामक प्रकाशन के माध्यम से किताबें प्रकाशित करती है और 2011 से मेले में स्टॉल लगाती आ रही है.
गिल्ड के अनुसार, इस साल पुस्तक मेले में कुछ नियम बदले गए हैं. गिल्ड का कहना है कि स्टॉल उन्हीं को दिया जाता है जो किताबों का प्रकाशन या बिक्री करते हैं. हालांकि, अदालत ने गिल्ड की इस दलील पर सवाल उठाए. पिछली सुनवाई में न्यायमूर्ति सिन्हा ने पूछा था कि अगर विहिप पिछले कई वर्षों से स्टॉल लगाता आ रहा है, तो इस बार क्यों अनुमति नहीं दी गई? उन्होंने यह भी कहा था कि गिल्ड के नियम स्पष्ट और स्थायी होने चाहिए, न कि मनमाने.
इससे पहले गिल्ड के खिलाफ ‘गणतांत्रिक अधिकार रक्षा समिति’ (एपिडीआर) ने भी याचिका दायर की थी, जिसमें उन्हें स्टॉल देने से इनकार करने पर आपत्ति जताई गई थी. हाई कोर्ट ने उनकी याचिका भी खारिज कर दी.
शुक्रवार को अदालत ने गिल्ड के पक्ष में फैसला सुनाते हुए कहा कि गिल्ड एक निजी संगठन है और उसके फैसले के खिलाफ याचिका की वैधता पर सवाल उठे हैं. विहिप और एपिडीआर दोनों की याचिकाओं को खारिज कर दिया गया है. इसका मतलब है कि इन दोनों संगठनों को इस साल कोलकाता पुस्तक मेले में स्टॉल लगाने की अनुमति नहीं मिलेगी.