झारखंड में बालू की समस्या लंबे समय से बनी हुई है, राज्य में बालू की सुगमता पूर्वक उपलब्धता के मुद्दे पर मुख्यमंत्री, सत्ताधारी दल के नेता एवं अधिकारी उदासीन दिख रहे हैं ,जिससे भवन निर्माण क्षेत्र में लगे हजारों व्यवसाई एवं लाखों-लाख दिहाड़ी मजदूर संकट में है l
बालू की कमी के कारण पूरे झारखंड में सरकारी एवं गैर सरकारी निर्माण कार्य बंद है, जिससे विभिन्न निर्माण से जुड़े मजदूरों के समक्ष आजीविका का संकट उत्पन्न हो गया है l
ज्ञात हो कि एनजीटी के गाइडलाइन के तहत 10 जून से ही झारखंड में बालू के उत्खनन पर रोक लगा दी गई है जो 15 अक्टूबर तक लागू होगा l
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार झारखंड सरकार ने 2019 के बाद से बालू घाटों की बंदोबस्ती ही नहीं की थी ,जिसके कारण सभी बालू स्टॉकिस्ट के लाइसेंस जनवरी में ही सीज कर दिए गए हैं l
झारखंड के दिहाड़ी मजदूरों ने राज्य सरकार के प्रति नाराजगी जताते हुए कहा कि पूरे झारखंड में बालू उठाओ पर रोक लगाए जाने के कारण उन लोगों को मजदूरी नहीं मिल रही हैl बालू के अभाव में सरकारी और गैर सरकारी निर्माण कार्य बंद है, ऐसे में रोजी- रोजगार छिन जाने के कारण झारखंड के लाखों-लाख दिहाड़ी मजदूर भुखमरी के समक्ष आ गए हैं l दिहाड़ी मजदूरों का कहना है कि वे 30-40 ₹ भाड़ा खर्च कर शहरी क्षेत्रों में रोजी-रोजगार की तलाश में जाते हैं पर उन्हें बैरन लौटना पड़ता है l