सीएम हेमंत सोरेन की सदस्यता को लेकर राजनीतिक गलियारों में हो रही है तरह-तरह की चर्चाएं। हेमंत सोरेन ने बुलाई जेएमएम-कांग्रेस-आरजेडी की बैठक।
झारखंड में फिर एक बार राजनीतिक सरगर्मी बढ़ गई है। झारखंड की राजनीति किस करवट लेगी यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा लेकिन जिस अंदाज में झारखंड की राजनीतिक आबोहवा बदल रही है उससे कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं।
खनन लीज मामले में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की सदस्यता बचेगी या जाएगी यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा। इसपर निर्वाचन आयोग के संभावित फैसले के मद्देनजर कांग्रेस अपने विधायकों को एकजुट करने में जुटी है। कांग्रेस के विधायक दल के नेता आलमगीर आलम ने पार्टी के सभी विधायकों को राज्य से बाहर जाने पर पाबंदी लगा दिया है और राज्य में ही रहने का निर्देश दिया है। बगैर अनुमति के बाहर नहीं जाएंगे।
दिल्ली जाने से पहले आलमगीर आलम और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजेश ठाकुर का विधायकों के साथ हुई बैठक
में शनिवार तक यहीं रहने का निर्देश दिया है। वहीं सीएम सोरेन ने शनिवार को झामुमो,कांग्रेस और राजद विधायकों की बैठक बुलाई है।जिसमें राजनीतिक स्थिति और अन्य विषयों पर भी मंथन होगा।
हालांकि कांग्रेस हर हाल में मुख्यमंत्री के साथ रहना चाहती है। इसके लिए भी वह अपने विधायकों को एकजुट रखना चाहती है। चर्चा है कि सीएम हेमंत और भाजपा की ओर से निर्वाचन आयोग को अपना लिखित जवाब दिए जाने के बाद अब कभी भी आयोग अपनी राय राज्यपाल को भेज सकता है।
राजनीतिक स्थिति को देखते हुए विधानसभा स्पीकर और विधायक पूर्ति ने कनाडा अपनी यात्रा को भी स्थगित कर दिया है। निर्वाचन आयोग अपना मंतव्य राजपाल को कभी भी भेज सकता है। अनुच्छेद 122 के अंतर्गत राज्यपाल आयोग का मंतव्य मानेंगे। निर्वाचन आयोग की मंतव्य पर राज्य की राजनीतिक निगाहें टकटकी लगाए हुए टिकी हुई है।
ए के मिश्र