नयी दिल्ली. प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के नेता हेमंत सोरेन को धन शोधन के एक मामले में जमानत देने के उच्च न्यायालय के हालिया आदेश को विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) के जरिए चुनौती देते हुए जल्द ही उच्चतम न्यायालय का रुख कर सकता है. आधिकारिक सूत्रों ने बुधवार को यह जानकारी दी. ईडी न्यायमूर्ति रोंगोन मुखोपाध्याय की पीठ द्वारा 28 जून को पारित आदेश को चुनौती दे सकती है. ईडी के मुताबिक, अदालत का यह कहना कि सोरेन ‘दोषी नहीं’ हैं, गलत है और आरोपी धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) की धारा 45 की निर्धारित दोहरी शर्तों पर खरा नहीं उतरते हैं.
हाईकोर्ट ने आदेश में कहा था कि इस तथ्य को स्वीकार करने का कारण है कि ईडी ने जो आरोप लगाये हैं, सोरेन उस अपराध के दोषी नहीं हैं और याचिकाकर्ता के इस तरह का अपराध करने की कोई संभावना नहीं है.
पीएमएलए की धारा 45 के तहत प्रावधान है कि धन शोधन मामले में आरोपी को जमानत तभी दी जा सकती है, जब वह दो शर्तें पूरी करता हो. पहली, अगर न्यायालय प्रथम दृष्टया संतुष्ट हो कि आरोपी ने अपराध नहीं किया है और दूसरी, जमानत पर रहते हुए उसके द्वारा कोई अपराध करने की संभावना नहीं है.
संघीय एजेंसी अपनी विशेष याचिका में इन आधारों के साथ उच्चतम न्यायालय का रुख कर सकती है. उच्च न्यायालय ने जिस दिन सोरेन को राहत प्रदान की, उसी दिन ईडी की कानूनी टीम ने जमानत आदेश के क्रियान्वयन पर 48 घंटे की रोक लगाने की अर्जी दी ताकि वे फैसले को शीर्ष अदालत में चुनौती दे सकें लेकिन अदालत ने याचिका खारिज कर दी थी.