- आरबीआई बोला, खाने के सामान की ऊंची महंगाई को नरअंदाज नहीं किया जा सकता
Mumbai. भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने गुरुवार को उम्मीद के मुताबिक चालू वित्त वर्ष की तीसरी द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में लगातार नौवीं बार नीतिगत दर रेपो में कोई बदलाव नहीं किया और इसे 6.5 प्रतिशत पर बरकरार रखा. आरबीआई ने कहा कि खाने के सामान की ऊंची महंगाई को नरअंदाज नहीं किया जा सकता और इसके अन्य क्षेत्रों पर प्रभाव को रोकने के लिए सतर्क रहने की जरूरत है. आरबीआई के गवर्नर शक्तिकान्त दास ने मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की मंगलवार को शुरू हुई तीन दिन की बैठक में लिए गए निर्णय की जानकारी देते हुए कहा कि मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने मुद्रास्फीति पर सतर्क रुख बरकरार रखते हुए रेपो दर को 6.5 प्रतिशत पर यथावत रखा है.
एमपीसी के छह सदस्यों में से चार ने नीतिगत दर को यथावत रखने के पक्ष में मतदान किया. इसके साथ ही मुद्रास्फीति को चार प्रतिशत पर लाने के लक्ष्य को हासिल करने के मकसद से उदार रुख को वापस लेने का रुख कायम रखा है. एमपीसी में आरबीआई के तीन और तीन बाहरी सदस्य हैं। सदस्यों में से डॉ. शशांक भिड़े, डॉ. राजीव रंजन, डॉ. माइकल देबब्रत पात्रा और शक्तिकांत दास ने नीतिगत दर को यथावत रखने के पक्ष में मतदान किया जबकि डॉ. आशिमा गोयल और प्रो. जयंत आर. वर्मा ने रेपो दर में 0.25 प्रतिशत कटौती का समर्थन किया.
वृद्धि दर के अनुमान 7.2% पर बरकरार
केंद्रीय बैंक ने 2024-25 के लिए जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) वृद्धि दर के अनुमान को 7.2 प्रतिशत पर बरकरार रखा है। साथ ही चालू वित्त वर्ष में खुदरा मुद्रास्फीति के 4.5 प्रतिशत के अनुमान को भी कायम रखा है.
मौद्रिक नीति महंगाई को नीचे लाने वाली बनी रहेगी
मुख्य रूप से खाद्य महंगाई बढ़ने से खुदरा मुद्रास्फीति जून में 5.08 प्रतिशत रही है. दास ने कहा, ‘खाद्य मुद्रास्फीति लगातार ऊंची बनी हुई है. मूल्य स्थिरता के बिना उच्च वृद्धि को कायम नहीं रखा जा सकता है. ऐसे में मौद्रिक नीति महंगाई को नीचे लाने वाली बनी रहेगी. आरबीआई गवर्नर ने कहा कि यदि ऊंची खाद्य मुद्रास्फीति अस्थायी होती तो एमपीसी उस पर गौर कर सकती थी. लेकिन लगातार खाने के सामान की ऊंची महंगाई के बीच एमपीसी ऐसा करने का जोखिम नहीं उठा सकती है. उन्होंने कहा, ‘खाद्य मुद्रास्फीति के दूसरे क्षेत्र पर पड़ने वाले असर को रोकने और मौद्रिक नीति के जरिये अबतक प्राप्त लाभ को बनाये रखने के लिए सतर्क रहने की जरूरत है.’
फरवरी में नीतिगत दर में किया था संशोधन
एमपीसी ने बीते वर्ष फरवरी में नीतिगत दर में संशोधन किया था और इसे बढ़ाकर 6.5 प्रतिशत किया था. आरबीआई ने रेपो दर को ऐसे समय यथावत रखा है जब विकसित देशों में कई केंद्रीय बैंकों ने नीतिगत दर में बदलाव किया है. बैंक ऑफ इंग्लैंड ने जहां पिछले सप्ताह ब्याज दर में कमी की वहीं बैंक ऑफ जापान ने ब्याज दर को बढ़ाकर 2008 के बाद से उच्चस्तर पर किया है। साथ ही अमेरिका में रोजगार के कमजोर आंकड़ों के साथ मंदी की आशंका बढ़ी है। इससे अमेरिकी फेडरल रिजर्व पर ब्याज दर में कटौती का दबाव बढ़ा है।
ये घोषणाएं भी की गयीं
दास ने खुदरा कर्ज के साथ-साथ आवास ऋण के ऊपर लिये जाने वाले कर्ज (टॉप-अप) में वृद्धि को लेकर भी आगाह किया. मौद्रिक नीति समीक्षा के तहत अन्य उपायों में यूपीआई के माध्यम से कर भुगतान की सीमा एक लाख रुपये से बढ़ाकर पांच लाख रुपये किये जाने की भी घोषणा की गयी.
इसके अलावा, यूपीआई में ‘डेलिगेटेड पेमेंट्स’ शुरू करने का भी प्रस्ताव है। ‘डेलिगेटेड पेमेंट्स’ के तहत एक व्यक्ति (प्राथमिक उपयोगकर्ता) को अपने बैंक खाते पर किसी अन्य व्यक्ति (द्वितीयक उपयोगकर्ता) के लिए यूपीआई लेनदेन सीमा निर्धारित करने की अनुमति मिलेगी. साथ ही चेक का निपटान कुछ ही घंटों में करने के मकसद से कदम उठाने की घोषणा की गयी है. मौद्रिक नीति समिति की अगली बैठक सात से नौ अक्टूबर को होगी.