.Garhwa. रंका थाना क्षेत्र के दुधवल गांव से सिस्टम को झकझोर देने वाला मामला सामने आया है. यहां की आदिवासी महिला का आरोप है कि वह 20 वर्षों से यौन शोषण की शिकार होती रही है और धर्म परिवर्तन का दबाव झेलती रही है. उसने पुलिस महकमे के छोटे से लेकर बड़े अधिकारियों तक से गुहार लगायी, पर किसी ने उसकी फरियाद नहीं सुनी. अब कोर्ट जाने पर मामले की गंभीरता को देखते हुए गढ़वा कोर्ट ने रंका थाना को आरोपियों के खिलाफ तत्काल प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया है.
पीड़िता दुधवल गांव की अकेली आदिवासी महिला हैं. बस्ती में लगभग 300 घर हैं, जिनमें से ज्यादातर लोग एक विशेष समुदाय के हैं. 2003 में जब वह केवल 14 साल की थी, तब मो इजहार अंसारी ने जबरन उसके घर में घुसकर हथियार के बल पर उसके साथ दुष्कर्म किया. उस समय इजहार ने उसे नक्सली होने का भय दिखाकर चुप रहने पर मजबूर किया. इसके बाद से इजहार ने महिला का यौन शोषण जारी रखा. महिला के अनुसार, इजहार ने पिछले 20 वर्षों में न केवल उसे शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित किया, बल्कि तीन बार उसे गर्भपात के लिए भी मजबूर किया. लगातार अत्याचारों और धमकियों से तंग महिला ने पहले रंका थाना के थाना प्रभारी से मदद मांगी, लेकिन वहां से उसे कोई सहायता नहीं मिली. इसके बाद उसने गढ़वा के पुलिस अधीक्षक, पलामू के पुलिस उपमहानिरीक्षक, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग दिल्ली, महिला आयोग रांची और रांची के पुलिस महानिरीक्षक को आवेदन देकर सुरक्षा की गुहार लगायी. लेकिन, कहीं से भी कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं मिली. अंतत: महिला ने गढ़वा न्यायालय का रुख किया.
धर्म परिवर्तन नहीं करने पर वेश्यावृत्ति में धकेलने की धमकी दी
महिला का आरोप है कि इजहार ने उस पर धर्म परिवर्तन का दबाव भी डाला. इजहार ने उसे धमकी दी कि अगर उसने धर्म परिवर्तन नहीं किया, तो वह उसे जबरन वेश्यावृत्ति में धकेल देगा. इस दौरान महिला को लगातार डराया-धमकाया गया. महिला का आरोप है कि इस पूरी अवधि में उसे इजहार अंसारी के अलावा नदीम अंसारी और सुल्ताना परवीन नामक दो अन्य लोगों से भी प्रताड़ना का सामना करना पड़ा. ये दोनों भी रंका थाना क्षेत्र के थाना मोड़ के निवासी हैं और इजहार अंसारी के करीबी माने जाते हैं. महिला के अनुसार, इन तीनों आरोपियों ने मिलकर उसकी जिंदगी को नर्क बना दिया.