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PM Modi ने प्रभु ईसा मसीह से की प्रार्थना, बोले-समाज में हिंसा की घटनाओं से पीड़ा होती है, ऐसी चुनौतियों से लड़ने के लिए एक साथ आएं

New Delhi. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को कहा कि जब हिंसा फैलाने और समाज में व्यवधान पैदा करने के प्रयास होते हैं तो उन्हें दुख होता है. राजधानी दिल्ली स्थित सीबीसीआई सेंटर परिसर में कैथोलिक बिशप्स कांफ्रेंस ऑफ इंडिया (सीबीसीआई) की ओर से आयोजित क्रिसमस समारोह में भाग लेने के बाद प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में ऐसी चुनौतियों से लड़ने के लिए एक साथ आने का आह्वान भी किया. क्रिसमस के त्योहार से पहले ईसा मसीह की शिक्षाओं को रेखांकित करते हुए उन्होंने देशवासियों से भाईचारे की भावना को मजबूत करने को भी कहा.

उन्होंने यह भी कहा कि देश के भविष्य के लिए हर किसी को महत्वपूर्ण भूमिका निभानी है. उन्होंने कहा, प्रभु ईसा मसीह की शिक्षाएं प्रेम, सद्भाव और भाईचारे का जश्न मनाती हैं. यह महत्वपूर्ण है कि हम सभी इस भावना को मजबूत बनाने के लिए काम करें. जर्मनी के क्रिसमस बाजार की एक हालिया घटना का और श्रीलंका में 2019 में ईस्टर बम विस्फोटों का हवाला देते हुए उन्होंने कहा, यह मेरे दिल को पीड़ा देता है जब हिंसा फैलाने और समाज में व्यवधान पैदा करने के प्रयास होते हैं. उन्होंने कहा कि यह आवश्यक है कि ‘हम ऐसी चुनौतियों से लड़ने के लिए एक साथ आएं.

जर्मनी में कुछ दिन पूर्व ही एक बड़ा हादसा देखने को मिला था जब वहां के मैगडेबर्ग में एक कार क्रिसमस मार्केट में घुस गई और लोगों को कुचल दिया. इस हादसे में बच्चों सहित 11 लोगों की मौत हो गई है. वहीं 60 से ज्यादा लोग घायल हो गए. मोदी ने जोर देकर कहा कि भारत द्वारा अपनाया गया मानव केंद्रित दृष्टिकोण ही 21वीं सदी की दुनिया को नई ऊंचाइयों पर ले जा सकता है. यह पहली बार है जब किसी प्रधानमंत्री ने भारत में कैथोलिक चर्च के मुख्यालय में इस तरह के कार्यक्रम में भाग लिया है.प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि कोई कहां हैं या किस प्रकार के संकट का सामना कर रहे हैं, आज का भारत अपने नागरिकों को सुरक्षित लाने को अपना कर्तव्य मानता है.

उन्होंने कई घटनाएं, विशेष रूप से उन क्षणों को याद किया जब फादर एलेक्सिस प्रेम कुमार को एक दशक पहले युद्धग्रस्त अफगानिस्तान से बचाया गया था. मोदी ने कहा कि फादर कुमार को आठ महीने से बंधक बनाकर रखा गया था और कठिन परिस्थितियों के बावजूद सरकार ने उन्हें सुरक्षित घर लाने के लिए हर संभव प्रयास किए. उन्होंने कहा, “हमें इसमें सफलता मिली. उस समय मैंने उनसे और उनके परिवार के सदस्यों से बात भी की थी. उनकी बातचीत को, उनकी उस खुशी को मैं कभी भूल नहीं सकता. इसी तरह, हमारे फादर टॉम यमन में बंधक बनाए गए थे. हमारी सरकार ने वहां भी पूरी ताकत लगाई, और हम उन्हें वापस घर लेकर आए.”

मोदी ने दोहराया कि ये प्रयास केवल राजनयिक मिशन नहीं थे बल्कि परिवार के सदस्यों को वापस लाने के लिए भावनात्मक प्रतिबद्धताएं थीं.
प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि भारत की विदेश नीति राष्ट्रीय हितों के साथ-साथ मानवीय हितों को भी प्राथमिकता देती है, जैसा कि कोविड-19 महामारी के दौरान प्रदर्शित हुआ है.

उन्होंने कहा, “कोरोना जैसी इतनी बड़ी महामारी आई, दुनिया के कई देश जो मानवाधिकार और मानवता की बड़ी-बड़ी बातें करते हैं और इन बातों को कूटनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल करते हैं, जरूरत पड़ने पर वो गरीब और छोटे देशों की मदद से पीछे हट गए. उस समय उन्होंने केवल अपने हितों की चिंता की. लेकिन, भारत ने परमार्थ भाव से अपने सामर्थ्य से भी आगे जाकर कितने ही देशों की मदद की.”

उन्होंने कहा कि भारत ने दुनिया के 150 से ज्यादा देशों में दवाइयां पहुंचाईं और कई देशों को टीके भेजे. उन्होंने कहा, “इसका पूरी दुनिया पर एक बहुत सकारात्मक असर भी पड़ा.” प्रधानमंत्री ने कहा कि गुयाना जैसे देशों ने इसके प्रति आभार व्यक्त किया है और कई द्वीपीय देशों, प्रशांत क्षेत्र के देशों एवं कैरेबियाई देशों ने भी भारत के मानवीय प्रयासों की सराहना की है. मोदी ने कहा, “भारत की ये भावना, मानवता के लिए हमारा ये समर्पण, ये मानवता आधारित रुख ही 21वीं सदी की दुनिया को नई ऊंचाई पर ले जाएगी.”

प्रधानमंत्री मोदी ने विश्वास जताया कि सबके सामूहिक प्रयास से हम हमारे देश को आगे बढ़ाएंगे. उन्होंने कहा कि विकसित भारत सभी का लक्ष्य है और हमें इसे मिलकर पाना है. उन्होंने कहा, “ये आने वाली पीढ़ियों के प्रति हमारा दायित्व है कि हम उन्हें एक उज्ज्वल भारत देकर जाएं.” प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में कार्निडनल जॉर्ज कुवाकाड को पोप फ्रांसिस द्वारा कार्निडनल की उपाधि से सम्मानित किए जाने का भी जिक्र किया और कहा जब भारत का कोई बेटा सफलता की इस ऊंचाई पर पहुंचता है, तो पूरे देश को गर्व होना स्वाभाविक है.

उन्होंने कहा कि इस आयोजन में भारत सरकार ने केंद्रीय मंत्री जॉर्ज कुरियन के नेतृत्व में आधिकारिक रूप से एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल भेजा था.
बाद में प्रधानमंत्री ने ‘एक्स’ पर एक के बाद पोस्ट में कार्यक्रम से जुड़ी तस्वीरें साझा की और कहा कि उन्होंने सीबीसीआई क्रिसमस कार्यक्रम के दौरान कार्डिनलों के साथ बातचीत की. उन्होंने कहा, “भारत को समाज के प्रति उनकी सेवा पर गर्व है. आर्कबिशप, बिशप और सीबीसीआई सदस्यों के साथ बातचीत की.” उन्होंने महामहिम ओसवाल्ड कार्डिनल ग्रेसियस को भी उनके 80वें जन्मदिन पर बधाई दी.

सीबीसीआई की स्थापना 1944 में हुई थी और ये संस्था पूरे भारत में सभी कैथोलिकों के साथ मिलकर काम करती है.

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