Patna. जनसुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर ने बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) की 70वीं संयुक्त प्रतियोगी प्रारंभिक परीक्षा को रद्द करने की मांग को लेकर अपना ‘आमरण अनशन’ 14 दिनों बाद बुधवार को समाप्त कर दिया. परीक्षा 13 दिसंबर को आयोजित की गयी थी. पूर्व राजनीतिक रणनीतिकार किशोर (47) ने हालांकि यह भी कहा कि बीपीएससी अभ्यर्थियों एवं राज्य के युवाओं के प्रति राज्य सरकार के ‘अधिनायकवादी’ रवैये के खिलाफ उनका ‘सत्याग्रह’ जारी रहेगा. किशोर ने कहा, “13 दिसंबर को आयोजित बीपीएससी की 70वीं सीसीई परीक्षा को रद्द करने की मांग करने वाले मामले की आज (बृहस्पतिवार) पटना उच्च न्यायालय में सुनवाई हो रही है. यह महज संयोग है कि मैं अपना आमरण अनशन समाप्त कर रहा हूं और आज ही पटना उच्च न्यायालय में मामले की सुनवाई भी हो रही है.”
उन्होंने कहा, “हमें पूरी उम्मीद है कि बीपीएससी अभ्यर्थियों को पटना उच्च न्यायालय से न्याय मिलेगा. अगर उन्हें उच्च न्यायालय से न्याय नहीं मिला तो हम उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाएंगे.” किशोर ने पटना स्थित पार्टी के कैंप कार्यालय में आमरण अनशन समाप्त करने की घोषणा करने से पहले गंगा नदी में डुबकी लगाई और पूजा की.
किशोर को पार्टी कार्यकर्ताओं ने फलों का रस पिलाकर अनशन समाप्त कराया. पार्टी ने पटना में गंगा नदी के किनारे एलसीटी घाट पर अपना कैंप कार्यालय बनाया है. किशोर ने कहा, “अब मेरा सत्याग्रह यहां जनसुराज पार्टी कार्यालय से जारी रहेगा. उन्होंने कहा, हम इसे (कैंप कार्यालय) ‘बिहार सत्याग्रह आश्रम’ कहते हैं. हम इस वर्ष 11 मार्च तक इस आश्रम में कम से कम एक लाख छात्र-छात्राओं को प्रशिक्षित करेंगे. ये प्रशिक्षित छात्र समाज के सामाजिक रूप से कमजोर वर्गों और युवाओं के साथ हो रहे अन्याय के खिलाफ लोगों में जागरूकता पैदा करेंगे. किशोर ने कहा, मैं बिहार में प्रदर्शनकारी अभ्यर्थियों पर लाठीचार्ज और पुलिस कार्रवाई की निंदा करता हूं.
जनसुराज पार्टी अगले दो दिनों में अभ्यर्थियों के खिलाफ पुलिस कार्रवाई के पीछे जिम्मेदार नौकरशाहों के खिलाफ आपराधिक रिट दायर करेगी. हम प्रशासनिक अधिकारियों के खिलाफ मानवाधिकार आयोग भी जाएंगे.”
उन्होंने कहा कि हमारा सत्याग्रह नीतीश कुमार सरकार के तानाशाही रवैये के खिलाफ भी जारी रहेगा, जिसने अभ्यर्थियों की मांगों पर अब तक एक भी शब्द नहीं कहा. किशोर ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर निशाना साधते हुए कहा, “बिहार के राज्यपाल और मुख्य सचिव ने प्रदर्शनकारी अभ्यर्थियों से मुलाकात की लेकिन मुख्यमंत्री ने कभी उनसे मिलने की जहमत नहीं उठाई. यह उनके अहंकार या असंवेदनशीलता को दर्शाता है या फिर वह उनकी समस्याओं का निदान करने में सक्षम नहीं हैं. उन्होंने कहा, “लोग मुख्यमंत्री के मानसिक स्वास्थ्य की चर्चा कर रहे हैं. मैं उनके मानसिक स्वास्थ्य के बारे में कुछ नहीं जानता लेकिन अगर लोग इसके बारे में बात कर रहे हैं, तो इसको लेकर बुलेटिन जारी किया जाना चाहिए. आखिरकार वह (नीतीश) राज्य के मुखिया हैं.
किशोर ने कहा, “20 जनवरी से यहां हर दिन कम से कम 5000 युवाओं को प्रशिक्षित किया जाएगा. महात्मा गांधी के सत्याग्रह का दर्शन लोगों को अन्याय के खिलाफ खड़ा करना और हिंसा के बिना बदलाव लाना है. सत्याग्रह से प्रेरित युवा जनता में जागरूकता पैदा करने में अहम भूमिका निभाएंगे. इसलिए मैं यह ‘सत्याग्रह’ शुरू करने जा रहा हूं. मेरा उद्देश्य युवाओं को ‘सत्याग्रह’ का महत्व समझाना है. उल्लेखनीय है कि 13 दिसंबर को आयोजित बीपीएससी की 70वीं संयुक्त (प्रारंभिक) प्रतियोगी परीक्षा के प्रश्नपत्र कथित तौर पर लीक होने के आरोपों के बीच परीक्षा को रद्द करने की मांग को लेकर अभ्यर्थियों के एक समूह ने विरोध प्रदर्शन जारी रखा हुआ है.