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“आपकी योजना- आपकी सरकार- आपके द्वार” कार्यक्रम में कोल्हान के प्रमंडलीय आयुक्त मनोज कुमार ने किया शिरकत

“आपकी योजना- आपकी सरकार- आपके द्वार” कार्यक्रम में कोल्हान के प्रमंडलीय आयुक्त मनोज कुमार ने किया शिरकत


आज पश्चिम सिंहभूम जिले के नोवामुंडी प्रखंड के पंचायत किरीबुरू में आयोजित “आपकी योजना- आपकी सरकार- आपके द्वार” कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की शुभारंभ प्रमंडलीय आयुक्त मनोज कुमार के द्वारा किया गया। मौके पर प्रखंड विकास पदाधिकारी, अंचलाधिकारी, संबंधित पंचायत के मुखिया, जनप्रतिनिधि मुंडा- मानकी सहित प्रखंड व अंचल कार्यालय के पदाधिकारियों और कर्मचारी प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।

प्रमंडलीय आयुक्त के द्वारा क्रमवार शिविर में लगाए गए विभिन्न विभागों के स्टालों का भ्रमण कर निरीक्षण किया गया तथा विभागों द्वारा शिविर में उपस्थित प्रतिनिधियों से लाभुकों को दी जा रही लाभ के प्रति जानकारी भी प्राप्त किया गया। आयुक्त द्वारा उपस्थित आम जनमानस को संबोधित करते हुए कहा गया कि “आपकी योजना- आपकी सरकार- आपके द्वार” कार्यक्रम का आयोजन रोस्टरवार प्रमंडल अंतर्गत तीनों जिले में दो चरणों में किया जा रहा है इन शिविरों में अधिक से अधिक संख्या में आकर सरकार के महत्वाकांक्षी योजनाओं का लाभ ससमय प्राप्त किया जा सकता है। उन्होंने उपस्थित पदाधिकारियों को सख्त रूप से निर्देशित करते हुए कहा कि एक भी अहर्ताधारी लाभुक सरकारी जनकल्याणकारी योजनाओं से वंचित नहीं रहना चाहिए। इसका विशेष रुप से ध्यान रखा जाए।

प्रमंडलीय आयुक्त ने आगे संबोधित करते हुए कहा कि गांव क्षेत्रों में डायन प्रथा आज भी कायम है। किसी विधवा की जमीन हड़पने हेतु उसे डायन बता प्रताड़ित किया जाता है। समाज में झाड़-फूंक करने वाले ओझा-गुणी, तांत्रिक ही इसके लिये सबसे बड़ा दोषी हैं। हमने एसडीएम, एसडीपीओ को आदेश दिया है कि ऐसा मामला आने पर सबसे पहले ओझा-गुणी अथवा डायन होने का आरोप लगाने वाले को पकड़कर कानूनी कार्यवाही करें. इन्हीं लोगों की वजह से यह प्रथा चल रही है जो खत्म नहीं हो रही है। इसे हमें जड़ से खत्म करना है। उन्होंने आगे सभा का ध्यान नशापान की ओर आकर्षित करते हुए कहा नशा मुक्ति से समाज को बचाना हमारी पहली प्राथमिकता होनी चाहिए। माता-पिता या अभिभावक को भी अपने बच्चों का विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए। अपने बच्चे का स्कूल बैग का औचक जांच करना चाहिए ऐसा देखा गया है कि कुछ प्रतिशत बच्चे किसी न किसी रूप में नशा से ग्रसित पाए जाते हैं। उन्हें नशा मुक्ति की दिशा में कार्य करते हुए मुख्यधारा की ओर लाना होगा जिससे कि बच्चों का सर्वांगीण विकास हो l

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