New Delhi. देश में 1974 और 1998 के परमाणु परीक्षणों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले प्रतिष्ठित वैज्ञानिक राजगोपाल चिदंबरम का शुक्रवार देर रात निधन हो गया. वह 88 वर्ष के थे. परमाणु ऊर्जा विभाग (डीएई) के एक अधिकारी ने बताया कि परमाणु हथियार कार्यक्रम से जुड़े रहे चिदंबरम ने मुंबई के जसलोक अस्पताल में देर रात तीन बजकर 20 मिनट पर अंतिम सांस ली. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि वह चिदंबरम के निधन से ‘बहुत दुखी’ हैं. मोदी ने कहा, ‘वह भारत के परमाणु कार्यक्रम के प्रमुख वास्तुकारों में से एक थे और उन्होंने भारत की वैज्ञानिक एवं सामरिक क्षमताओं को मजबूत करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया.
उन्हें पूरा देश कृतज्ञता के साथ याद करेगा और उनके प्रयास भावी पीढ़ियों को प्रेरित करते रहेंगे.’ डीएई की ओर से जारी एक बयान में कहा गया, ‘‘हम अत्यंत दुख के साथ सूचित करते हैं कि प्रख्यात भौतिक विज्ञानी और भारत के सबसे प्रतिष्ठित वैज्ञानिकों में से एक डॉ. राजगोपाल चिदंबरम का शुक्रवार देर रात (चार जनवरी 2025) तीन बजकर 20 मिनट पर निधन हो गया. भारत की वैज्ञानिक और रणनीतिक क्षमताओं में डॉ. चिदंबरम के अद्वितीय योगदान और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में उनके दूरदर्शी नेतृत्व को हमेशा याद किया जाएगा.’
चिदंबरम ने भारत की परमाणु क्षमताओं को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. बयान में कहा गया, ‘उन्होंने 1974 में देश के पहले परमाणु परीक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और 1998 में पोखरण-2 परमाणु परीक्षण के दौरान परमाणु ऊर्जा विभाग की टीम का नेतृत्व किया. उनके योगदान ने भारत को वैश्विक मंच पर एक परमाणु शक्ति के रूप में स्थापित किया. चिदंबरम को 1975 में पद्म श्री और 1999 में पद्म विभूषण सहित कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया गया. उन्हें कई विश्वविद्यालयों से मानद डॉक्टरेट की उपाधि मिली थी और वह प्रतिष्ठित भारतीय एवं अंतरराष्ट्रीय विज्ञान अकादमियों के शोधार्थी थे.