
Ranchi. Tata Steel ने बुधवार को दावा किया कि वह Hydrogen परिवहन के लिए पाइप विकसित करने वाली देश की पहली स्टील कंपनी बन गई है. यह देश के हाइड्रोजन मिशन में एक मील का पत्थर है. कंपनी ने एक बयान में कहा कि टाटा स्टील के खोपोली प्लांट में कलिंगनगर संयंत्र में विनिर्मित स्टील का उपयोग करके संसाधित किए गए पाइपों ने हाइड्रोजन परिवहन के लिए आवश्यक सभी महत्वपूर्ण विशेषतोंओं को सफलतापूर्वक पूरा किया है. Hot Rolled Steel के डिजाइन और निर्माण से लेकर पाइप के उत्पादन तक का पूरा प्रौद्योगिकी विकास पूरी तरह से कंपनी ने किया है, जो टाटा स्टील की महत्वपूर्ण ऊर्जा अवसंरचना प्रदान करने की क्षमता को बताता है.
वर्ष 2024 में, Tata Steel गैसीय हाइड्रोजन के परिवहन के लिए हॉट-रोल्ड स्टील का उत्पादन करने वाली पहली भारतीय स्टील कंपनी बन गई. बयान में कहा गया है, ‘‘हाइड्रोजन से संबंधित परीक्षण और लक्षण वर्णन के लिए एक प्रमुख अनुमोदन एजेंसी, आरआईएनए-सीएसएम एस.पी.ए., इटली में हाइड्रोजन योग्यता परीक्षण किए गए थे.
Tata Steel के उपाध्यक्ष – विपणन और बिक्री (फ्लैट उत्पाद) प्रभात कुमार ने कहा, ‘Tata Steel हमेशा महत्वपूर्ण स्टील ग्रेड के विनिर्माण के लिए प्रौद्योगिकियों को विकसित करने में सबसे आगे रही है. नए ईआरडब्ल्यू पाइपों का सफल परीक्षण घरेलू स्तर पर ऊर्जा क्षेत्र के लिए महत्वपूर्ण भौतिक अवसंरचना प्रदान करने की हमारी क्षमताओं को प्रदर्शित करता है. हमें भारत के राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन में योगदान करने पर गर्व है, जो अपने आप में देश के चल रहे स्वच्छ ऊर्जा बदलाव का एक प्रमुख घटक है.’
National Hydrogen Mission भारत को वर्ष 2030 तक प्रति वर्ष कम से कम 50 लाख टन ग्रीन हाइड्रोजन का उत्पादन करने की क्षमता बनाने में सक्षम करेगा, जिसमें निर्यात की अतिरिक्त मांग के साथ प्रति वर्ष एक करोड़ टन तक पहुंचने की क्षमता है। इसके लिए उत्पादन और परिवहन में पर्याप्त निवेश की आवश्यकता होगी. हाइड्रोजन परिवहन के अनुकूल स्टील की मांग वर्ष 2026-27 से शुरू होने की उम्मीद है.
