
Ranchi. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा है कि राज्य सरकार मंईयां सम्मान योजना के लिए जनता पर किसी तरह का अतिरिक्त बोझ लादने नहीं जा रही है. राज्य सरकार अपने आंतरिक संसाधनों के स्रोत से ही योजना के लिए आवश्यक राशि की व्यवस्था करेगी. मंईयां योजना को लेकर अलग-अलग प्रतिक्रिया देनेवाले लोग आश्वस्त और बिल्कुल निर्भीक रहें. मंगलवार को प्रोजेक्ट भवन में अबुआ बजट को लेकर आयोजित संगोष्ठी को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत सरकार देश की आधी आबादी के लिए 25-26 हजार करोड़ रुपये के बजट का ही प्रावधान करती है, लेकिन झारखंड सरकार 15-16 हजार करोड़ रुपये अपनी आधी आबादी को सुपुर्द करती है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि मंईयां सम्मान योजना से पूरे देश में राज्य की अलग पहचान बनी है. एक राज्य का अपने बजट की इतनी बड़ी राशि से आधी आबादी के जीवन स्तर में सुधार लाने के लिए प्रयत्नशील होना छोटी बात नहीं है. उन्होंने कहा कि झारखंड कहने को तो सोने की चिड़िया है, लेकिन वास्तव में यह देश के सबसे पिछड़े राज्यों में शामिल है. गुजरे 25 वर्षों में गिरते-पड़ते कई नये आयाम गढ़ने की कोशिश की गयी. स्कूल, आधारभूत संरचना, सड़क, बिजली और पानी को लेकर बड़े पैमाने पर काम हुए हैं.
आधारभूत संरचना के विकास को लेकर कई प्रयास किये गये. इन कार्याें को पूरा करने में कई चुनौतियों का भी सामना करना पड़ा. लेकिन, इसके बावजूद राज्य सरकार ने हार नहीं मानी है.सरकार की पहल से आने वाले बजट को लेकर कई संकेत मिल रहे हैं. आनेवाले वित्तीय वर्ष में कई विभागों का बजट घट सकता है. सरकार रोड, भवन और दूसरे आधारभूत निर्माण के लिए बजट में कटौती कर सकती है. इन विभागों से कटौती कर डीबीटी की योजनाओं पर फोकस होगा. लाभुकों को सीधे लाभ मिलने वाली योजनाओं को और कारगर बनाया जायेगा. इनके लिए बड़ी राशि का प्रबंध हो सकता है.
