- हरित इस्पात की परिभाषा तय
- उत्सर्जन के आधार पर दी जाएगी रेटिंग, सरकार ने उद्योग जगत से तैयार उत्पादों पर प्रति टन कार्बन उत्सर्जन को 2.2 टन के स्तर से नीचे लाने को कहा
New Delhi. सरकार ने बृहस्पतिवार को हरित इस्पात की परिभाषा तय करते हुए उद्योग जगत से तैयार उत्पादों पर प्रति टन कार्बन उत्सर्जन को 2.2 टन के स्तर से नीचे लाने के लिए कदम उठाने को कहा. केंद्रीय इस्पात मंत्री एच डी कुमारस्वामी ने ‘हरित इस्पात पर वर्गीकरण’ जारी किया. इसमें उत्पादन प्रक्रिया के दौरान उत्सर्जित होने वाली कार्बन डाइऑक्साइड (सीओ2) की मात्रा के आधार पर इस्पात उत्पादों की स्टार रेटिंग देने के मानक तय किए गए हैं. कुमारस्वामी ने इस्पात उद्योग को भारत के औद्योगिक विकास की रीढ़ बताते हुए कहा कि देश आगे बढ़ने के साथ यह महत्वपूर्ण क्षेत्र स्थिरता की ओर एक रूपांतरकारी बदलाव से गुजरता है. उन्होंने कहा कि उत्पादन में हरित प्रथाओं को अपनाना एक विकल्प नहीं बल्कि व्यापक मानवता के लिए एक जरूरत है.
उन्होंने कहा कि इस्पात के दूसरे सबसे बड़े उत्पादक देश भारत के लिए यह जिम्मेदारी और अवसर दोनों है कि वह वृद्धि बरकरार रखते हुए उत्सर्जन में कटौती की अगुवाई करे. मंत्री ने कहा कि नया ढांचा इस्पात उत्पादन को कार्बन मुक्त करने और मूल्य शृंखला में हरित प्रथाओं को प्रोत्साहित करने के प्रयासों में मार्गदर्शन करेगा. इस मौके पर इस्पात सचिव संदीप पौंड्रिक ने कहा कि हरित इस्पात की कोई सार्वभौमिक रूप से स्वीकृत परिभाषा नहीं होने से विभिन्न संस्थान अलग-अलग पद्धतियों का इस्तेमाल करते रहे हैं.
उन्होंने कहा, “कार्यबल की सिफारिशों और मंत्रालय की जांच के आधार पर हमने भारतीय संदर्भ में हरित इस्पात के वर्गीकरण के मानक जारी किए हैं.”
मंत्रालय के वर्गीकरण के मुताबिक, इस्पात में हरित तत्वों के प्रतिशत के आधार पर हरित इस्पात को परिभाषित किया जाएगा.
पौंड्रिक ने कहा, “अगर इस्पात 2.2 कार्बन (सीओ2 उत्सर्जन) से नीचे का है तो उसे हरित इस्पात माना जाएगा. ऐसा इसलिए किया गया है ताकि न केवल उद्योग, मंत्रालय, हितधारक बल्कि उपभोक्ता भी समझें कि वे हरित इस्पात का इस्तेमाल कर रहे हैं.”
यदि एक टन इस्पात के उत्पादन में 1.6 टन या उससे कम सीओ2 का उत्सर्जन होता है तो उसे फाइव-स्टार रेटिंग वाला हरित इस्पात माना जाएगा. वहीं 1.6 से दो टन की सीमा में उत्सर्जन वाले उत्पाद को फोर-स्टार रेटिंग दी जाएगी, जबकि दो से 2.2 टन उत्सर्जन स्तर वाले उत्पादों को थ्री-स्टार रेटिंग मिलेगी. नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ सेकेंडरी स्टील टेक्नोलॉजी (एनआईएसएसटी) इस्पात के लिए हरित प्रमाणपत्र और स्टार रेटिंग जारी करने के साथ माप, रिपोर्टिंग और सत्यापन के लिए नोडल एजेंसी के रूप में काम करेगा.