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कहिए तो पैर छू लें ! ठेकेदार का पैर छूने की कोशिश करते दिखे नीतीश, अधिकारी ने जोड़े हाथ

  • कार्यक्रम के दौरान दोनों उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी और विजय सिन्हा तथा स्थानीय सांसद रवि शंकर प्रसाद भी थे मौजूद

PATNA. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एक बार फिर चर्चा में हैं. उनका एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें वह ठेकेदार का पैर छूने की पेशकश करते दिख रहे हैं. दरअसल, मामला पटना में आयोजित एक सरकारी कार्यक्रम का है. यहां उन्होंने एक ठेकेदार के पैर छूने की कोशिश की. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पथ निर्माण विभाग के एक कार्यक्रम में गंगा पथ के एक हिस्से का उद्घाटन कर रहे थे. इसी दौरान उन्होंने राघोपुर पुल के निर्माण कार्य में देरी की बात सुनकर नाराजगी जतायी. इसके बाद उन्होंने जो किया, उसे देख सभी लोग भौचक्का रह गये. कार्यक्रम के दौरान दोनों उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी और विजय सिन्हा तथा स्थानीय सांसद रवि शंकर प्रसाद भी मौजूद थे.

जानें मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने क्या कहा

पटना में जेपी गंगा पथ के दूसरे चरण का लोकार्पण करने के बाद मुख्यमंत्री जैसे ही वहां से चलने के लिए उठे तो सामने खड़े निर्माण एजेंसी के इंजीनियर से कहा कि तेजी से काम को पूरा करें. उन्होंने कहा कि जल्दी से जल्दी काम पूरा होना चाहिए.. कहिए तो आपके पैर भी छू लेंगे. कुमार इंजीनियर का पैर छूने के लिए जैसे ही आगे बढ़े, वहां मौजूद पथ निर्माण विभाग के सचिव प्रत्यय अमृत ने हाथ जोड़कर उनका रास्ता रोक लिया और ऐसा नहीं करने की अपील की.

एक सप्ताह पहले भी छूने लगे थे पैर

एक सप्ताह पहले भी मुख्यमंत्री ने आईएएस अधिकारी के पैर छूने की पेशकश करते हुए व्यापक सर्वेक्षण करके भूमि विवादों को जल्दी से जल्दी निपटाने का आग्रह किया था.

तेजस्वी ने वीडियो फुटेज किया साझा

बिहार विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक वीडियो फुटेज साझा करते हुए लिखा, “पूरे विश्व में इतना असहाय, अशक्त, अमान्य, अक्षम, विवश,बेबस,लाचार और मजबूर कोई ही मुख्यमंत्री होगा, जो बीडीओ,एसडीओ, थानेदार से लेकर वरीय अधिकारियों और यहाँ तक कि संवेदक के निजी कर्मचारी के सामने बात-बात पर हाथ जोड़ने और पैर पड़ने की बात करता हो?”  राजद नेता ने कहा, “जब शासन में इक़बाल खत्म हो जाए हो और शासक में आत्मविश्वास ना रहे तब उसे सिद्धांत, जमीर और विचार किनारे रख ऊपर से लेकर नीचे तक बात-बात पर ऐसे ही पैर पड़ना पड़ता है. बहरहाल हमें कुर्सी की नहीं बल्कि बिहार और 14 करोड़ बिहारवासियों के वर्तमान और भविष्य की चिंता है.

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