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लोकतंत्र में लोभ  तंत्र ? छानबीन के दौरान पर्दाफाश हो सकता है जमशेदपुर के प्राइवेट स्कूल कैंपस में किताब कॉपी की खरीद-फरोख्त का खेल ,अपना जुगाड़ न बिगड़ जाए इसलिए निजी विद्यालय प्रबंधन पर खुलेआम स्कूल कैंपस में किताब कापी बिक्री कराने पर नहीं कर रहे हैं धारा 7.A(3)(4)के तहत एवं उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत कानूनी कार्रवाई !जनप्रतिनिधि भी स्कूल प्रबंधन को दे रहे हैं मौन समर्थन? लाचार एवं निरीह अभिभावक को कौन दिलाएगा न्याय?

लोकतंत्र में लोभ  तंत्र ? छानबीन के दौरान पर्दाफाश हो सकता है जमशेदपुर के प्राइवेट स्कूल कैंपस में किताब कॉपी की खरीद-फरोख्त का खेल ,अपना जुगाड़ न बिगड़ जाए इसलिए निजी विद्यालय प्रबंधन पर खुलेआम स्कूल कैंपस में किताब कापी बिक्री कराने पर नहीं कर रहे हैं धारा 7.A(3)(4)के तहत एवं उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत कानूनी कार्रवाई !जनप्रतिनिधि भी स्कूल प्रबंधन को दे रहे हैं मौन समर्थन? लाचार एवं निरीह अभिभावक को कौन दिलाएगा न्याय?

जमशेदपुर के निजी स्कूल केंपस में किताब-कॉपी की खुलेआम खरीद-फरोख्त स्कूल प्रबंधन द्वारा निजी प्रकाशक से कराई जा रही है ,अभिभावकों का मानना है कि हम लोगों को स्कूल प्रबंधन द्वारा बुक लिस्ट उपलब्ध नहीं कराई जा रही है l विद्यालय प्रबंधन द्वारा सीधे मैसेज भेजा जा रहा है कि अमुक तिथि को अमुक क्लास का किताब कापी स्कूल कैंपस में तय अवधि में आकर प्राप्त कर ले lअभिभावकों का मानना है कि  करोना महामारी के कारण हम लोगों का आर्थिक स्थिति बदतर है ऐसी स्थिति में विद्यालय प्रबंधन द्वारा सरकार कि एक गाइडलाइन के विपरीत ट्यूशन फीस के अलावा अन्य फीस का  भी डिमांड किया जा रहा है l कुछ स्कूल तो वार्षिक फीस न देने की स्थिति में कठोर कार्रवाई का भी मैसेज भेज रहे है l

स्कूल प्रबंधन के इस प्रयास पर जनप्रतिनिधि भी मौन है लोगों का मानना है कि सरकारी शिक्षा व्यवस्था ध्वस्त होने के कारण जनप्रतिनिधि या अधिकारी भी अपने करीबियों का नामांकन मनपसंद प्राइवेट विद्यालय में कराने के लिए गणेश परिक्रमा करते हैं ,संभवत उनका जुगाड़ भविष्य में खराब ना हो जाए ऐसे में वे जनहित के मुद्दों पर स्कूल प्रबंधन के खिलाफ नहीं जा सकते हैं l

निरीह जनता लाचारी वश स्कूल प्रबंधन के हर आदेश को चुपचाप सहने को मजबूर है l  लोकतंत्र में अगर अधिकारी चाहे तो स्कूल में किताब कॉपी की बिक्री को कानूनन रोक सकते हैं l स्कूल प्रबंधन द्वारा किसी निश्चित दुकानदार से किताब-कॉपी, स्कूल ड्रेस एवं जूता मोजा इत्यादि खरीदने को बाध्य नहीं किया जा सकता l उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत किसी भी उपभोक्ता को किसी निश्चित अथवा निर्धारित दुकान से सामान खरीदने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता है, इसे यूं समझें कि उपभोक्ता को अपनी जरूरत के सामान खरीदने का कई विकल्प होना चाहिए ना कि किसी के आदेश पर किसी निश्चित दुकान से सामान खरीदने की  व्यवस्था हमारे कानून में है l

उसी प्रकार स्कूल प्रबंधन द्वारा खुलेआम स्कूल कैंपस में किताब कॉपी की बिक्री कराना अपराध है ,इसके तहत स्कूल की मान्यता भी समाप्त की जा सकती है lधारा7.A(3) के तहत यह अपराध है एवं अधिकारी चाहे तो धारा 7.A(3)(4) के तहत स्कूल की मान्यता समाप्त करने की प्रक्रिया प्रारंभ कर सकते है l

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