Pune. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ मोहन भागवत ने कई मंदिर-मस्जिद विवादों के फिर से उठने पर चिंता जतायी है. उन्होंने कहा कि अयोध्या में श्री राम मंदिर के निर्माण के बाद कुछ लोगों को ऐसा लग रहा है कि वे ऐसे मुद्दों को उठा कर हिंदुओं के नेता बन सकते हैं. यह स्वीकार्य नहीं है. हर दिन एक नया मामला (विवाद) उठाया जा रहा है. इसकी अनुमति कैसे दी जा सकती है? यह जारी नहीं रह सकता. भारत को यह दिखाने की जरूरत है कि हम एक साथ रह सकते हैं.
भागवत ने एक कार्यक्रम में समावेशी समाज की वकालत की और कहा कि रामकृष्ण मिशन में क्रिसमस मनाया जाता है. उन्होंने कहा कि केवल हम ही ऐसा कर सकते हैं, क्योंकि हम हिंदू हैं. हम लंबे समय से सद्भावना से रह रहे हैं. अगर हम दुनिया को यह सद्भावना प्रदान करना चाहते हैं, तो हमें इसका एक मॉडल बनाने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि बाहर से आये कुछ समूह अपने साथ कट्टरता लेकर आये और वे चाहते हैं कि उनका पुराना शासन वापस आ जाये. लेकिन, अब देश संविधान के अनुसार चलता है.
इस व्यवस्था में लोग अपने प्रतिनिधि चुनते हैं, जो सरकार चलाते हैं. आधिपत्य के दिन चले गये. उन्होंने कहा कि मुगल बादशाह औरंगजेब का शासन भी इसी तरह की कट्टरता के लिए जाना जाता था. हालांकि, उसके वंशज बहादुर शाह जफर ने 1857 में गोहत्या पर प्रतिबंध लगा दिया था. कहा कि यह तय हुआ था कि अयोध्या में श्री राम मंदिर हिंदुओं को दिया जाना चाहिए, लेकिन अंग्रेजों को इसकी भनक लग गयी और उन्होंने दोनों समुदायों के बीच दरार पैदा कर दी. तब से अलगाववाद की भावना अस्तित्व में आयी. परिणामस्वरूप, पाकिस्तान अस्तित्व में आया.