Jamshedpur. सामाजिक मुद्दों को उठाने की जरूरत है. जमशेदपुर में अगर कोई जाम के खिलाफ आवाज उठाता है, तो उसे पुलिस उसे नोटिस दे देती है, एफआइआर कर देती है. उस आदमी के लिए सामाजिक संगठनों को आवाज उठानी चाहिए. उक्त बातें जमशेदपुर पश्चिमी के नवनिर्वाचित विधायक सरयू राय ने कही. वे बिष्टुपुर स्थित श्रीकृष्ण सिन्हा संस्थान में जमशेदपुर सिटीजन फोरम की ओर से आयोजित अभिनंदन कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे. सरयू राय ने कहा कि शहर के मानगो पुल पर लगने वाले जाम को लेकर प्रशासन गंभीर नहीं है. प्रशासन को और गंभीर होना पड़ेगा. प्रशासन उदासीन है. एक मीटिंग तो अभी प्रशासनिक अधिकारियों ने की है, लेकिन उसका कोई बहुत प्रभाव नहीं दिख रहा है. दरअसल, समस्या की जड़ में मानगो पुल नहीं, टिमकेन चौराहा है. इस चौराहे से ट्रैफिक कम करने के लिए जरूरी प्रयास करने की जरूरत है.
उन्होंने कहा कि दीनदयाल उपाध्याय ने कहा था कि कोई पार्टी किसी गलत, कोई बुरा प्रत्याशी केवल इसलिए आपका मत पाने का दावा नहीं कर सकता कि वह किसी अच्छे दल की ओर से खड़ा है. दल के हाइकमान ने ऐसे व्यक्ति को टिकट देते समय पक्षपात किया होगा. अतः ऐसी गलती को सुधारना मतदाता का कर्तव्य है. श्री राय ने कहा कि पानी को लेकर मारामारी होते रहती है. वह कब से कह रहे हैं कि चांडिल डैम से पानी उठाएं और डिमना में डालें. फिर डिमना से पूरे शहर को सप्लाई करें. मुसाबनी तक पानी चला जाएगा. पूरे शहर में पानी की दिक्कत नहीं होगी. प्यूरीफिकेशन भी पूरा होगा. खर्चा भी नहीं बढ़ेगा. पानी साफ हो जाएगा. सतनाला डैम, डोबो डैम से सीधे पानी जाए तो कांड्रा और मुसाबनी तक पानी चला जाएगा. अगले 100 साल तक किसी को पानी की दिक्कत नहीं होगी. बेहतर योजना बनाने की जरूरत है.
उन्होंने यह भी कहा कि दामोदर नदी का 95 प्रतिशत शुद्धीकरण हो चुका है. स्वर्णरेखा का प्रदूषण दूर करने के लिए पांच स्थानों का चयन किया गया है. सरयू राय ने कहा कि कानून बनाने का काम विधानसभा और लोकसभा करती है. अगर कानून बन गया और जनहित में नहीं है तो उसके खिलाफ भी जनता को खड़ा होना चाहिए. राम मनोहर लोहिया ने ठीक ही कहा था कि जिंदा कौम पांच साल तक इंतजार नहीं करतीं. पांच साल क्यों इंतजार करें. आंदोलन छेड़ें. इसके लिए आपमें शक्ति होनी चाहिए. श्री राय ने कहा कि आज का दौर और जेपी-लोहिया के दौर में बहुत फर्क आया है. पहले की राजनीति में आपराधिक तत्व नहीं होते थे. जो होते भी थे, वह भले मानस की तरह सियासी दलों से जुड़ते थे. अब तो सीधे अपराधी चुनाव लड़ रहे हैं. अपराधी अब किसी को समर्थन देने की बजाए खुद से चुनाव लड़ना ज्यादा पसंद करने लगे हैं, लड़ रहे हैं.
यह लोकतंत्र के लिए कतई ठीक नहीं है. यह वातावरण राजनीतिक ह्रास को द्योतक है. 70 के बाद राजनीति का अपराधीकरण होने लगा जो आज तक बदस्तूर जारी है. अब स्थिति यह है कि दबंग लोग रास्ते का अतिक्रमण कर रहे हैं. कोई गरीब अगर झोपड़ी बनाना चाहता है, प्रयास करता है तो उसकी झोपड़ी तोड़ने के लिए थाना का थाना फोर्स पहुंच जा रही है. दूसरी तरफ आप देखेंगे तो पायेंगे कि जो दबंग चरित्र के लोग हैं, वो अवैध तरीके से पांच मंजिला, छह मंजिला इमारत भी बना रहा है तो कोई टोकने वाला नहीं. यह गजब की दोहरी स्थिति है.