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Arvind Kejriwal:सुप्रीम कोर्ट ने आबकारी नीति भ्रष्टाचार मामले में केजरीवाल को जमानत दी, 156 दिन बाद तिहाड़ से निकलेंगे बाहर

  • कोर्ट ने कहा, सीबीआई के पिंजरे में बंद तोता होने की धारणा को दूर करना चाहिए, यह दिखाना चाहिए कि वह पिंजरे में बंद तोता नहीं है.

New Delhi. सुप्रीम कोर्ट ने आबकारी नीति ‘घोटाले’ के संबंध में सीबीआई द्वारा दर्ज भ्रष्टाचार के मामले में शुक्रवार को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को जमानत दे दी और कहा कि लंबे समय तक जेल में रखना स्वतंत्रता से अन्यायपूर्ण तरीके से वंचित करने के समान है.करीब 156 दिनों के बाद अब वो जेल से बाहर आ सकेंगे. न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति उज्जवल भुइयां की पीठ ने केजरीवाल को 10 लाख रुपये के मुचलके और दो जमानत राशियों पर जमानत दी.

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने 21 मार्च को आबकारी नीति मामले में केजरीवाल को गिरफ्तार किया था. उन्हें लोकसभा चुनाव में प्रचार के लिए 10 मई को अंतरिम जमानत दी गई थी और दो जून को आत्मसमर्पण करने के बाद से वह जेल में हैं. शीर्ष अदालत ने केजरीवाल को मामले के बारे में कोई सार्वजनिक टिप्पणी नहीं करने का निर्देश दिया और कहा कि ईडी मामले में लागू नियम व शर्तें इस मामले में भी लागू रहेंगी.

शीर्ष अदालत ने ईडी मामले में उन्हें जमानत देते हुए कहा था कि केजरीवाल अपने कार्यालय या दिल्ली सचिवालय नहीं जा सकते और जब किसी बहुत जरूरी मामले में ऐसा करना हो तो उन्हें उपराज्यपाल से मंजूरी लेनी होगी. अदालत ने कहा कि निकट भविष्य में मुकदमा पूरा होने का अनुमान नहीं है और अदालत ने केजरीवाल द्वारा जांच को प्रभावित किए जाने की आशंका खारिज कर दी.

अलग से निर्णय लिखने वाले न्यायमूर्ति भुइयां ने जमानत देने को लेकर न्यायमूर्ति कांत से सहमति व्यक्त की. न्यायमूर्ति भुइयां ने सीबीआई द्वारा केजरीवाल की गिरफ्तारी के समय पर सवाल उठाया और कहा कि एजेंसी का उद्देश्य ईडी मामले में उन्हें जमानत दिए जाने में बाधा डालना था.
न्यायमूर्ति भुइयां ने कहा कि वह ईडी मामले में रिहाई के समय केजरीवाल को गिरफ्तार करने को लेकर सीबीआई की जल्दबाजी को समझ नहीं पाए हैं, जबकि उसने 22 महीने तक ऐसा नहीं किया.

उन्होंने कहा कि सीबीआई केजरीवाल के गोलमोल जवाबों का हवाला देते हुए उनकी गिरफ्तारी और लगातार हिरासत में रखे जाने को उचित नहीं ठहरा सकती. उन्होंने कहा कि सहयोग न करने का मतलब आत्म-दोषारोपण नहीं हो सकता. न्यायमूर्ति भुइयां ने कहा, “सीबीआई के पिंजरे में बंद तोता होने की धारणा को दूर करना चाहिए, यह दिखाना चाहिए कि वह पिंजरे में बंद तोता नहीं है.

न्यायमूर्ति भुइयां ने कहा कि जब केजरीवाल को ईडी मामले में इसी आधार पर जमानत मिल गई है तो उन्हें हिरासत में रखना न्याय की दृष्टि से ठीक नहीं होगा. उन्होंने कहा कि उन्हें ईडी मामले में केजरीवाल पर लगाई गई शर्तों पर गंभीर आपत्ति है, जिनके तहत उनके मुख्यमंत्री कार्यालय में प्रवेश करने और फाइलों पर हस्ताक्षर करने पर रोक है.

उन्होंने कहा, मैं न्यायिक अनुशासन के कारण, केजरीवाल पर लगाई गई शर्तों पर टिप्पणी नहीं कर रहा हूं. पीठ ने पांच सितंबर को याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. केजरीवाल ने सीबीआई द्वारा दायर भ्रष्टाचार के मामले में जमानत से इनकार करने और अपनी गिरफ्तारी को चुनौती देते हुए दो अलग-अलग याचिकाएं दायर की थीं.

आम आदमी पार्टी (आप) प्रमुख को केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने 26 जून को गिरफ्तार किया था. उन्होंने दिल्ली उच्च न्यायालय के 5 अगस्त के आदेश को शीर्ष अदालत में चुनौती दी थी. दिल्ली उच्च न्यायालय ने भ्रष्टाचार के मामले में उनकी गिरफ्तारी को बरकरार रखा था. 12 जुलाई को शीर्ष अदालत ने धनशोधन मामले में केजरीवाल को अंतरिम जमानत दे दी थी.

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