FeaturedNational NewsPoliticsSlider

Supreme Court verdict: एससी आरक्षण कोटे में राज्य कर सकते हैं उपवर्गीकरण, किसी एक जाति को 100 प्रतिशत कोटा नहीं दे सकते 

New Delhi.सुप्रीम कोर्ट ने बहुमत से दिये एक फैसले में गुरुवार को अनुसूचित जाति (एससी) को मिलनेवाले आरक्षण में भी कोटे को मंजूरी दे दी. सीजेआइ डीवाइ चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली सात सदस्यीय पीठ ने 6:1 के बहुमत से फैसला देते हुए कहा कि राज्यों को अनुसूचित जाति में उप-वर्गीकरण करने की अनुमति दी जा सकती है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि इन समूहों के भीतर और अधिक पिछड़ी जातियों को आरक्षण दिया जाये.

इसमें कहा गया है कि अनुसूचित जाति को उसमें शामिल जातियों के आधार पर बांटना संविधान के अनुच्छेद-341 के खिलाफ नहीं है. राज्यों द्वारा उप-वर्गीकरण को मानकों एवं आंकड़ों के आधार पर उचित ठहराया जाना चाहिए. कोर्ट ने अपने फैसले में राज्यों के लिए जरूरी हिदायतें भी दी हैं. कोर्ट ने कहा है कि राज्य सरकारें मनमर्जी से फैसला नहीं कर सकतीं. इसके लिए कोर्ट ने दो शर्तें भी तय की हैं. पहली कि सरकार अनुसूचित जाति के भीतर किसी एक जाति को 100% कोटा नहीं दे सकतीं. दूसरी यह कि अनुसूचित जाति में शामिल किसी जाति का कोटा तय करने से पहले उसकी हिस्सेदारी का पुख्ता सरकार के पास डेटा होना चाहिए.

सीजेआइ ने अपने और जस्टिस मिश्रा की ओर से फैसला लिखा. चार जजों ने सहमति वाले फैसले लिखे, जबकि जस्टिस त्रिवेदी ने असहमति वाला फैसला लिखा. पीठ 23 याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी जिनमें से मुख्य याचिका पंजाब सरकार ने दायर की है जिसमें पंजाब और हरियाणा हाइकोर्ट के 2010 के फैसले को चुनौती दी गयी है. सुप्रीम कोर्ट ने आठ फरवरी को उन याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था जिसमें इवी चिन्नैया फैसले की समीक्षा करने का अनुरोध किया गया है. शीर्ष अदालत ने 2004 में फैसला सुनाया था कि सदियों से बहिष्कार, भेदभाव और अपमान झेलने वाले एससी समुदाय सजातीय वर्ग का प्रतिनिधित्व करते हैं, जिनका उप-वर्गीकरण नहीं किया जा सकता. अब सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले को पलट दिया है.
अनुसूचित जाति वर्ग में समरूपता नहीं : सीजेआइ
इस अहम केस की सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस डीवाइ चंद्रचूड़ ने कहा कि अनुसूचित जाति वर्ग में समरूपता नहीं है. इसमें भी विभिन्नताएं हैं. उनका कहना था कि अनुसूचित जाति वर्ग को जाति नहीं बल्कि वर्ग के आधार पर आरक्षण मिलता है. यदि मध्य प्रदेश की बात करें, तो वहां 25 जातियों में से नौ ही एससी में हैं. हमने यह भी देखा है कि इस वर्ग में भी समरूपता नहीं है.

Share on Social Media
WhatsApp Channel Join Now
Telegram Group Join Now