New Delhi. देश में लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने के प्रावधान वाले दो विधेयकों पर विचार करने के लिए गठित संसद की संयुक्त समिति की पहली बैठक आठ जनवरी को होगी. सूत्रों ने बताया कि भाजपा सदस्य पीपी चौधरी की अध्यक्षता में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने से संबंधित विधेयकों पर संयुक्त समिति की पहली बैठक एक परिचयात्मक बैठक होने की संभावना है, जिसमें अधिकारी दोनों विधेयकों के बारे में जानकारी देंगे. लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराने के प्रावधान वाले ‘संविधान (129वां संशोधन) विधेयक, 2024’ और उससे जुड़े ‘संघ राज्य क्षेत्र विधि (संशोधन) विधेयक, 2024’ पर विचार के लिए 39 सदस्यीय संसद की संयुक्त समिति का गठन किया गया है.
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद और पूर्व कानून राज्य मंत्री पी.पी. चौधरी को इस समिति का अध्यक्ष बनाया गया है. समिति के 39 सदस्यों में भाजपा के 16, कांग्रेस के पांच, समाजवादी पार्टी, तृणमूल कांग्रेस और द्रमुक के दो-दो तथा शिवसेना, तेदेपा, जद(यू), रालोद, लोजपा (रामविलास), जन सेना पार्टी, शिवसेना (उबाठा), राकांपा (एसपी), माकपा, आम आदमी पार्टी, बीजू जनता दल (बीजद) और वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के एक-एक सदस्य शामिल हैं. समिति में राजग के कुल 22 सदस्य हैं, जबकि विपक्षी ‘इंडिया’ गठबंधन के 10 सदस्य हैं. बीजद और वाईएसआर कांग्रेस पार्टी सत्तारूढ़ या विपक्षी गठबंधन के सदस्य नहीं हैं.
समिति को आगामी बजट सत्र के अंतिम सप्ताह के पहले दिन तक रिपोर्ट पेश करने के लिए कहा गया है. इन विधेयकों को गत 17 दिसंबर को लोकसभा में पेश किया गया था. लोकसभा में मत विभाजन के बाद ‘संविधान (129वां संशोधन) विधेयक, 2024’ को पुर:स्थापित किया गया था. विधेयक को पेश किए जाने के पक्ष में 263 वोट, जबकि विरोध में 198 वोट पड़े थे.
इसके बाद कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने ध्वनिमत से मिली सदन की सहमति के बाद ‘संघ राज्य क्षेत्र विधि (संशोधन) विधेयक, 2024’ को भी पेश किया था. कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने विधेयक पेश किए जाने का विरोध करते हुए आरोप लगाया था कि यह संविधान के मूल ढांचे पर हमला है. कानून मंत्री मेघवाल ने कहा था कि एक साथ चुनाव कराने से संबंधित प्रस्तावित विधेयक राज्यों की शक्तियों को छीनने वाला नहीं है और यह विधेयक पूरी तरह संविधान सम्मत है.