वाराणसी. धर्म नगरी काशी में सोमवती अमावस्या पर सोमवार को हजारों श्रद्धालुओं ने पवित्र गंगा में आस्था की डुबकी लगाई. गंगा स्नान के बाद श्रद्धालु महिलाओं ने पीपल के पेड़ की परिक्रमा कर जल देने के बाद शिवमंदिरों में हाजिरी लगाई. ठंड और कोहरे के बीच अमावस्या स्नान के लिए श्रद्धालु तड़के ही गंगाघाटों पर पहुंचने लगे. प्राचीन दशाश्वमेधघाट ,शीतलाघाट,अहिल्याबाईघाट, मानमंदिर घाट,पंचगंगाघाट,अस्सीघाट पर स्नान के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ जुटी. गंगा स्नान के बाद अलसुबह से ही श्रद्धालुओं ने पीपल के पेड़ की परिक्रमा कर जल देने के बाद श्री काशी विश्वनाथ के दरबार में हाजिरी लगाई.
नगर के मोहल्लों में भी स्थित शिवमंदिरों और पीपल के वृक्ष के नीचे महिलाओं की भीड़ पूजा अर्चना के लिए जुटी रही. शिव आराधना समिति के संस्थापक डॉ मृदुल मिश्र ने बताया कि सनातन धर्म में सोमवती अमावस्या का बड़ा महत्व है. सोमवती अमावस्या पर गंगा स्नान से पुण्य तो मिलता है. जीवन के सभी कष्ट दूर होते हैं, मनोकामनाएं पूरी होती हैं, मोक्ष की प्राप्ति होती है और सैकड़ों अश्वमेघ यज्ञ के समान पुण्य की प्राप्ति होती है. उन्होंने बताया कि सोमवती अमावस्या पर पितरों के निमित पूजा और श्राद्ध कर्म से जीवन मे सुख और शांति आती है. उन्होंने बताया कि सोमवती अमावस्या पर पीपल के वृक्ष की पूजा करने और 108 परिक्रमा कर सूत लपटने से व्यक्ति की मनोकामना पूर्ण हो जाती है.