Chakulia. ओडिशा के मयूरभंज जिले के सिमिलिपाल बाघ अभयारण्य (एसटीआर) में छोड़ी गयी तीन वर्षीय बाघिन ‘जीनत’
रेलवे लाइन से सटे चाकुलिया के मौरबेड़ा जंगल से बुधवार की सुबह में रेलवे ट्रैक को पार कर भातकुंडा पंचायत के चियाबांधी के सिद्धो- कान्हो चौक के पास स्थित जंगल में आ पहुंची है. लोकेशन मिलने के बाद यहां पर ओडिशा और चाकुलिया के वन विभाग की टीम बाघिन को रेस्क्यू करने की तैयारी में जुटी है. जंगल के पास ग्रामीणों की भीड़ लग गयी है. बाघिन जंगल में है और रेस्क्यू की टीम नजर रखे हुए है. बाघिन का रेस्क्यू करने के लिए जंगल के पास एक पिकअप वैन से तीन भैंसा ले जाया गया है. इन भैंसों के सहारे बाघिन का रेस्क्यू किया जाएगा.
बाघिन को पड़कर रखने के लिए लायी गयी पिंजरा गाड़ी
बाघिन को पड़कर रखने के लिए पिंजरा गाड़ी भी जंगल के पास ले जाई गयी है. जीपीएस (ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम) ट्रैकर की मदद से लगातार जानकारी प्राप्त की जा रही है. ओड़िशा और झारखंड का वन विभाग लगातार नजर बनाए हुए है. बाघिन जिन्नत लगभग तीन वर्ष की बतायी जा रही है. सोमवार सुबह 4 बजे गुड़ाबांदा की बालिजुड़ी पंचायत से सुवर्णरेखा नदी पार कर बाघिन चाकुलिया रेंज में घुसी थी. वहीं, बेनासोल नयाग्राम जंगल में 5 बजे प्रवेश की. राजाबासा जंगल में लास्ट ट्रेस दिखा. इससे क्षेत्र के लोगों में दहशत का माहौल है हर जुबान पर बाघिन की चर्चा है. हालांकि, बाघिन को लेकर झारखंड और ओडिशा वन विभाग अलर्ट है. ट्रेस मिलने के बाद से वन विभाग तलाश में जुटा है.
बाघिन को महाराष्ट्र से लाकर STR में छोड़ा गया था
ओडिशा के मयूरभंज जिले के सिमिलिपाल बाघ अभयारण्य (एसटीआर) में तीन वर्षीय बाघिन ‘जीनत’ को महाराष्ट्र से लाकर 24 नवंबर को छोड़ा गया था. एसटीआर के क्षेत्रीय मुख्य वन संरक्षक (आरसीसीएफ) प्रकाश चंद गोगिनेनी ने कहा कि बाघिन का स्वास्थ्य अच्छा है और वह झारखंड के जंगल में प्रवेश कर चुकी है, जो उत्तर में एसटीआर से लगा हुआ है. गोगिनेनी ने कहा, ‘‘जीनत बाघिन सिमिलिपाल क्षेत्र से निकलकर अब झारखंड में चली गई है. वह रविवार को झारखंड के एक जंगल में प्रवेश कर गई और एक टीम उसकी गतिविधियों पर नजर रख रही है. उन्होंने कहा कि झारखंड के वन अधिकारियों को भी सूचित कर दिया गया है और वे भी बाघिन की गतिविधियों पर नजर रख रहे हैं. इस बाघिन को 15 नवंबर को महाराष्ट्र के ताडोबा-अंधारी बाघ अभयारण्य से सिमिलिपाल लाया गया था और जंगल में छोड़े जाने से पहले उसे एक बाड़े में रखा गया था. एसटीआर की एक विशेष टीम उसके गले में रेडियो कॉलर लगाकर जंगल में उसकी गतिविधियों पर नजर रख रही थी.