*नयी दिल्ली. तीन नये आपराधिक कानून भारतीय न्याय संहिता-2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता-2023 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम-2023 एक जुलाई से पूरे देश में लागू हो जायेंगे.ये तीनों कानून ब्रिटिश काल के भारतीय दंड संहिता, दंड प्रक्रिया संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम का स्थान लेंगे.
नये कानून को लेकर गृह मंत्रालय ने एसओपी जारी कर दिये हैं. इसके मुताबिक, जीरो प्राथमिकी, पुलिस में ऑनलाइन शिकायत दर्ज कराना, इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से समन और सभी जघन्य अपराधों के अपराध दृश्यों की अनिवार्य वीडियोग्राफी की जायेगी.
अब कोर्ट में लंबित आपराधिक मामलों को वापस लेने के लिए पीड़ित को न्यायालय में अपनी बात रखने का पूरा अवसर मिलेगा. न्यायालय पीड़ित को सुनवाई का अवसर दिये बिना मुकदमा वापस लेने की सहमति नहीं देगा. साथ ही अब 90 दिन में पुलिस को चार्जशीट दायर करनी होगी. इसका उद्देश्य सभी के लिए अधिक सुलभ, सहायक और प्रभावी न्याय प्रणाली सुनिश्चित करना है.
प्राथमिकी दर्ज कराना होगा अब आसान
अब कोई भी व्यक्ति पुलिस थाने जाये बिना कहीं से भी एफआइआर दर्ज करा सकता है. इसके लिए ई-एफआइआर पोर्टल या पुलिस वेबसाइट पर लॉगइन करके प्राथमिकी दर्ज करा सकता है. पुलिस अधिकारी इस ई-एफआइआर को रिकॉर्ड पर लेंगे और तीन दिन के भीतर शिकायतकर्ता को उस पर हस्ताक्षर करना होगा. इसके बाद इसे रेगुलर एफआइआर के तौर पर लिया जायेगा.
किसी भी थाने में दर्ज करा सकते हैं केस
‘जीरो’ प्राथमिकी से अब कोई भी व्यक्ति किसी भी पुलिस थाने में प्राथमिकी दर्ज करा सकता है, चाहे अपराध उसके अधिकार क्षेत्र में न हुआ हो. इससे कानूनी कार्यवाही शुरू करने में होने वाली देरी खत्म होगी और अपराध की शिकायत तुरंत दर्ज हो सकेगी. साथ ही पीड़ितों को प्राथमिकी की एक निशुल्क प्रति दी जायेगी, जिससे उसकी भागीदारी सुनिश्चित होगी.
गिरफ्तार व्यक्ति के बारे में जानकारी देना होगा जरूरी
गिरफ्तारी की सूरत में व्यक्ति को अपनी पसंद के किसी व्यक्ति को अपनी स्थिति के बारे में सूचित करने का अधिकार होगा. इससे गिरफ्तार व्यक्ति को तुरंत सहयोग मिल सकेगा. इसके अलावा, गिरफ्तारी विवरण पुलिस थानों और जिला मुख्यालयों में प्रमुखता से प्रदर्शित किया जायेगा, जिससे गिरफ्तार व्यक्ति के परिवार और मित्र महत्वपूर्ण सूचना आसानी से पा सकेंगे.
दो महीने में पूरी करनी होगी जांच
महिला और बच्चों से जुड़े आपराधों की जांच दो महीने में पूरी की जायेगी. साथ ही महिलाओं व बच्चों के खिलाफ अपराध के पीड़ितों को सभी अस्पतालों में निशुल्क प्राथमिक उपचार या चिकित्सीय उपचार मुहैया कराया जायेगा.
मॉब लिंचिंग और नाबालिग से दुष्कर्म मामले में मौत की सजा
भारत की संप्रभुता या अखंडता को खतरे में डालने वाले किसी भी व्यक्ति को अधिकतम आजीवन कारावास की सजा हो सकती है. वहीं, मॉब लिंचिंग और नाबालिग से दुष्कर्म में शामिल लोगों को अधिकतम मौत की सजा दी जा सकती है. हत्या के जुर्म के लिए सजा-ए-मौत या आजीवन कारावास की सजा होगी. दुष्कर्म में शामिल लोगों को कम से कम 10 साल की जेल या आजीवन कारावास की सजा होगी और सामूहिक दुष्कर्म के लिए कम से कम 20 साल की कैद या उस व्यक्ति के शेष जीवन के लिए कारावास की सजा होगी.
कुमार मनीष,9852225588