Ranchi. पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन बुधवार को नयी दिल्ली से रांची लौट आये हैं. <span;>चंपाई सोरेन ने देर शाम झारखंड मुक्ति मोर्चा की प्राथमिक सदस्यता और सभी पदों से त्याग-पत्र दे दिया. उन्होंने कहा कि झारखंड के आदिवासियों, मूलवासियों, दलितों, पिछड़ों एवं आम लोगों के मुद्दों को लेकर हमारा संघर्ष जारी रहेगा. इससे पहले दिल्ली से लौटने के बाद <span;>उन्होंने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि 30 अगस्त को वे भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो जाएंगे. झारखंड के हित में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल होने का निर्णय लिया है और वह झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) से एवं मंत्री पद से इस्तीफा दे देंगे. मंत्री चंपई सोरेन ने कहा कि कि वह किसी भी स्थिति से डरे हुए नहीं हैं.
उन्होंने इस सप्ताह के प्रारंभ में नयी दिल्ली में केंद्रीय गृहमंत्री और पूर्व भाजपा अध्यक्ष अमित शाह से मुलाकात की थी और भाजपा में शामिल होने की घोषणा की थी.
वह बुधवार को अपने बेटे के साथ रांची पहुंचे जहां बड़ी संख्या में उनके समर्थकों ने उनका स्वागत किया.
चंपई सोरेन ने यहां कहा, ‘फैसला (भाजपा में शामिल होने का) झारखंड के हित में है ……. मुझे संघर्षों की आदत है. जब उनसे इस आरोप के बारे में पूछा कि उन पर नजर रखी जा रही है, तब पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि वह किसी भी स्थिति से भयभीत नहीं हैं। उन्होंने संकेत दिया कि बुधवार को ही वह झामुमो और मंत्री पद से इस्तीफा दे देंगे.
मंगलवार को चंपई सोरेन ने कहा था कि वह आदिवासी पहचान एवं अस्तित्व को बचाने के लिए भाजपा में शामिल हो रहे हैं जो बांग्लादेश से ‘बड़े पैमाने पर’ घुसपैठ के कारण राज्य के संथाल परगना क्षेत्र में दांव पर लगी हुई है.
हेमंत सोरेन के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफे के बाद कुछ समय के लिए मुख्यमंत्री पद संभालने वाले झामुमो के वरिष्ठ नेता चंपई सोरेन ने कहा कि केवल भाजपा ही आदिवासियों के मुद्दे पर गंभीर दिखाई देती है, जबकि अन्य वोट बैंक की राजनीति में लिप्त हैं.
इससे पहले, वरिष्ठ भाजपा नेता एवं असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने दिन में आरोप लगाया था कि चंपई सोरेन की पिछले पांच महीनों से ‘उनकी अपनी सरकार’ की पुलिस ही जासूसी कर रही थी.
शर्मा ने दावा किया था कि चंपई सोरेन के करीबी लोगों ने दिल्ली के एक होटल में झारखंड पुलिस की विशेष शाखा के दो उप निरीक्षकों (एसआई) को पूर्व मुख्यमंत्री पर नजर रखते हुए पकड़ा था.
चंपई सोरेन ने दो फरवरी को झारखंड के 12वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी. उससे बस थोड़े समय पहले उनके पूर्ववर्ती हेमंत सोरेन ने धनशोधन के एक मामले में प्रवर्तन निदेशालय द्वारा गिरफ्तार किए जाने से पहले ही मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया था.