New Delhi. सुप्रीम कोर्ट ने समूचे देश में प्राधिकारियों को उसकी इजाजत के बिना आपराधिक मामलों में आरोपियों की संपत्ति को ध्वस्त नहीं करने का निर्देश देते हुए मंगलवार को कहा कि अगर अवैध रूप से ध्वस्तीकरण का एक भी मामला है तो यह हमारे संविधान के मूल्यों के विरुद्ध है.
न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति के वी विश्वनाथन की पीठ ने स्पष्ट किया कि उसका आदेश सार्वजनिक सड़कों, फुटपाथों आदि पर बने अनधिकृत ढांचों पर लागू नहीं होगा.
पीठ ने कहा, यदि अवैध ध्वस्तीकरण का एक भी उदाहरण है…तो यह हमारे संविधान के मूल्यों के विरुद्ध है.
शीर्ष अदालत उन याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी जिनमें आरोप लगाया गया था कि कई राज्यों में आपराधिक मामलों में आरोपियों की संपत्तियों को ध्वस्त किया जा रहा है.
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ को बताया कि संपत्तियों के ध्वस्त करने का “विमर्श” गढ़ा जा रहा है.
पीठ ने वरिष्ठ विधि अधिकारी से कहा, आप निश्चिंत रहें, बाहरी शोर हमें प्रभावित नहीं करता. पीठ ने मामले की अगली सुनवाई एक अक्टूबर को तय की है.
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