उत्तराखंड. लगभग 56 वर्ष पूर्व एक विमान दुर्घटना के बाद से लापता चमोली जिले के थराली विकास खंड के कोलपुड़ी निवासी शहीद नारायण सिंह का गुरुवार को उनके पैतृक घाट पर सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार कर दिया गया है. उनके अंतिम संस्कार में बड़ी संख्या में ग्रामीणों ने उन्हें अंतिम विदाई दी और थराली -घाट मोटरमार्ग का नामकरण शहीद नारायण सिंह बिष्ट के नाम से रखने की मांग की.
दरअसल, 7 फरवरी 1968 में 102 क्रू मेंबरों को ले जा रहा विमान के चंडीगढ़ से उड़ान भरने के बाद हिमाचल प्रदेश के रोहतांग दर्रे के ढाका ग्लेशियर में क्रैश हो गया था. इस दुर्घटना के बाद चमोली जनपद के कोलपुड़ी गांव निवासी 404 मिडयम बटालियन के सिपाही नारायण सिंह सहित कई सैनिक लापता हो गए थे. हाल ही में हिमाचल प्रदेश के लाहुल और स्पीति जिले के बटाल के पास चंन्द्रभागा रेंज की चोटी पर 56 साल बाद चार शव बरामद हुए. इनमें चमोली जिले के थराली के कोलपुड़ी निवासी सिपाही नारायण सिंह का भी शव मिला. शहीद नारायण सिंह बिष्ट के पार्थिव शरीर को वायुसेना के हेलीकॉप्टर से बुधवार को गौचर हवाई पट्टी लाया गया. जहां से उन्हें रुद्रप्रयाग ले जाया गया था.
शुक्रवार को सेना के वाहन से शहीद सैनिक का पार्थिव शरीर उनके पैतृक गांव लाया गया. शहीद के पार्थिव शरीर के गांव में पहुंचने पर सभी लोगों की आंखें छलक आयी. यहां पर उन्हें परिजनों के साथ ही अन्य लोगों ने अपनी श्रद्धाजंलि अर्पित की. जिसके बाद उनके पार्थिव शरीर को उनके पैतृक घाट ढाढरबगड में सैन्य सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया. शहीद के छोटे भाई के पुत्र सुरेंद्र सिंह और जयवीर सिंह ने मुखाग्नि दी. इस मौके पर विधायक भूपाल राम टम्टा, पूर्व विधायक जीत राम, मुन्नी देवी शाह, उपजिलाधिकारी थराली अबरार अहमद, थाना अध्यक्ष पंकज कुमार, नंदू बहुगुणा, जिला पंचायत सदस्य देवी जोशी, दलबीर सिंह पिमोली, मोहन सिंह सोलवासी, पृथ्वी सिंह नेगी सुजान सिंह बिष्ट, जय सिंह बिष्ट, हीरा सिंह बिष्ट, सुरेंद्र बिष्ट, पूर्व क्षेत्र पंचायत सदस्य सुनीता देवी, पूर्व प्रमुख राकेश जोशी, ज्येष्ठ प्रमुख राजेंद्र सिंह, पूर्व प्रमुख सुशील रावत, व्यापार संघ अध्यक्ष संदीप बुटोला, महेश शंकर त्रिकोटी ने शहीद को अपनी श्रद्धाजंलि दी.
वर्ष 1968 में वायुसेना का विमान चंडीगढ़ से सौ से ज्यादा जवानों को लेकर लेह लद्दाख के लिए उड़ा था. बाद में हिमाचल प्रदेश के सियाचिन की बर्फीले पहाड़ों पर क्रैश हो गया था. जिससे विमान में सवार कई जवानों का कोईं सुराग नहीं लग पाया. कई वर्षों तक खोजबीन की गई लेकिन पता नहीं चल पाया. इन लापता जवानों में उत्तराखंड के जनपद चमोली के कोलपुड़ी निवासी नारायण सिंह बिष्ट भी शामिल थे. उस वक्त नारायण सिंह बिष्ट की उम्र महज 21-22 वर्ष रही होगी. नारायण सिंह की शादी बसंती देवी से हुई उस वक्त बसंती देवी की उम्र महज नाै वर्ष थी. वर्ष 2011 में उनकी पत्नी बसंती देवी का भी देहांत हो चुका है.
हाल के ही दिनाें में भारतीय सेना के सियाचिन के बर्फीले पहाड़ों में सर्च ऑपरेशन के दौरान 56 साल पहले लापता चार लाेगाें के शव बरामद
हुए थे. बर्फ में दबे शव की पहचान आईकार्ड और और जेब मे रखे पर्स में लिखे घर के पते से नारायण सिंह से बरामद हुई. सेना के अधिकारियों ने उनके भतीजे व ग्राम प्रधान जयवीर सिंह बिष्ट को शव मिलने की जानकारी दी. जिसे सुनकर परिजन हैरान हो गए. 56 साल बाद लापता ताऊ का शव मिलने की सूचना मिलते ही परिजनों में कोहराम मच गया. भतीजे जयवीर सिंह ने बताया कि सेना के जवानों ने उन्हें उनके ताऊ का शव मिलने के बारे में बताया तो उनके होश उड़ गए. उन्हें अपने कानों पर भी यकीन नही हुआ कि 56 साल बाद उनके ताऊ का शव मिल जाएगा और जिसका अंतिम संस्कार उनके हाथ से होगा.