- गोल ब्लाडर कैंसर, हेपेटाइटिस इंफेक्शन विषयों पर नए-नए एडवांस तकनीक से अवगत हुए झारखंड सहित दूसरे राज्य के चिकित्सक
रांची. गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट डॉ. अमर प्रेम द्वारा गोल ब्लाडर कैंसर की जल्द पहचान और प्रबंधन पर बताया कि पित्ताशय के कैंसर का पता लगाना मुश्किल है. क्योंकि, इसके लक्षण शुरुआती चरणों में दिखाई नहीं देते. जब लक्षण दिखाई देते हैं, तो वे पित्त पथरी या पित्त नली में रुकावट जैसी अधिक सामान्य स्थितियों के समान हो जाते हैं. पेट के ऊपरी हिस्से में दर्द, पीली त्वचा और आंखों का सफेद भाग पीला पड़ने लगता है.
डॉ. अमर प्रेम रविवार को इंडियन सोसायटी ऑफ गैस्ट्रोएंटरोलॉजी द्वारा डोरंडा के शौर्य सभागार मे आयोजित दो दिवसीय नेशनल कॉन्फ्रेंस गैस्ट्रोकॉन-24 का समापन सभा काे संबाेधित कर रहे थे. कॉन्फ्रेंस में झारखंड के साथ दूसरे राज्यों से पेट व लीवर के सैकड़ों विशेषज्ञ चिकित्सक शामिल हुए. सम्मेलन के अंतिम दिन भी 20 से ज्यादा विभिन्न बीमारियों से संबंधित विषय पर चर्चा की गई. रविवार को कॉन्फ्रेंस की शुरूआत बिहार के डॉ. राजीव कुमार सिंह ने एंडोस्कोपी पर एआई के महत्व के बारे जानकारी दी.
चंडीगढ़ के डॉ. सरोज कांत सिन्हा ने अल्सरेटिव कोलाइटिस का 2025 और इससे आगे के इलाज विषय पर अपनी बात रखी. उन्होंने बताया कि अल्सरेटिव कोलाइटिस, बड़ी आंत (कोलन) और मलाशय की अंदरूनी परत में सूजन होने वाली एक बीमारी है. इसे इन्फ़्लेमेटरी बाउल डिजीज (आईबीडी) के नाम से भी जाना जाता है. यदि समय रहते इसका इलाज नहीं किया गया, तो यह घातक साबित हो सकता है.
डॉ. सरोज सिन्हा के अनुसार, अल्सरेटिव कोलाइटिस के कई लक्षण हैं, पेट में दर्द और ऐंठन, आंत के ऊपर गुड़गुड़ाहट या छप-छप की आवाज, मल में रक्त और संभवतः मवाद होना, दस्त, बुखार, वजन घटना आदि शामिल हैं. कॉन्फ्रेंस के दौरान मुख्य रूप से नागपुर के डॉ. सौरभ मुकेवर, दिल्ली के डॉ. अनील अरोरा, डॉ. पियुष रंजन, कोलकाता के डॉ. संदीप पाल, अपोलो दिल्ली के डॉ. हितेंद्र गर्ग, कोलकाता के डॉ. संजय मंडल और डॉ. नीरव गोयल समेत अन्य शामिल थे.
झारखंड समेत दूसरे राज्य के चिकित्सक ऑर्गनाइजिंग सेक्रेटरी डॉ. मनोहर लाल और को-चेयरपर्सन डॉ. जयंत घोष ने बताया कि पेट, आंत व लीवर से संबंधित इस नेशनल कॉन्फ्रेंस में अपने-अपने क्षेत्र के विशेषज्ञ अलग-अलग राज्यों से शामिल होकर झारखंड समेत दूसरे जगह के डॉक्टरों को नए-नए तकनीक व अपने अनुभव से अवगत कराया. यहां हमने लाइव सर्जरी से अत्याधुनिक तकनीक सीखे.
सम्मेलन में उपस्थित डॉक्टरों ने एकक्लासिया कार्डिया का ऑपरेशन, पैनक्रियाज से संबंधित बीमारी, पैनक्रिएटिक सिडोसिस्ट का ड्रेनेज, ईआरसीपी के द्वारा पित्त की नली में स्थित बड़े-बड़े स्टोन का स्पाई ग्लास के द्वारा ऑपरेशन की तकनीक से अवगत हुए. सम्मेलन के सफल आयोजन में ऑर्गनाइजिंग कमेटी के चेयरपर्सन डॉ. प्रणव मंडल, ऑर्गनाइजिंग सेक्रेटरी डॉ. मनोहर लाल प्रसाद, को-चेयरपर्सन डॉ. जयंत कुमार घोष समेत अन्य की भागीदारी रही.
एंडोस्कोपी से पोयम तकनीक का इस्तेमाल कर खाने की नली की सर्जरी संभव : डॉ. विकास सिंघला
मैक्स हॉस्पिटल दिल्ली के डॉ. विकास सिंघला ने पोयम यानी बिना चीरफाड़ के कैसे खाने की नली की सर्जरी कर उसे ठीक किया जा सकता है, इस विषय की प्रस्तुति दी. इसके बाद लाइव सर्जरी कर इसकी बारिकियों को भी सिखाया. उन्होंने बताया कि बिना चीरफाड़ के एंडोस्कोपी से पोयम (ओरल एंडोस्कोपिक मायटोमी) तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है. इस तकनीक में, मुंह के रास्ते जाकर आहार नली में छोटा कट लगाया जाता है. इसके बाद इसोफेगस के ऊपरी हिस्से से लेकर जंक्शन के नीचे तक बढ़ी मांसपेशियों को काटा जाता है, जिसके बाद मरीज को परेशानी से निजात मिलता है.
क्रोनिक पैनक्रियाटिस से अग्नाशय की संरचना व कार्य-प्रणाली हो सकती है खराब : डॉ. संजीव झा
आईजीआईएमएस पटना के डॉ. संजीव कुमार झा ने बताया कि क्रोनिक पैनक्रियाटिस अग्नाशय की लंबे समय से चली आ रही सूजन है, जिसकी वजह से अग्नाशय की संरचना और कार्य-प्रणाली खराब हो जाती है. अल्कोहल का अधिक सेवन और सिगरेट धुम्रपान कोनिक पैनक्रियाटिस के दो प्रमुख कारण हैं. पेट में दर्द लगातार हो सकता है. कई दर्द पर सामान्य दवाईयां काम नहीं करती, इसके लिए अन्य सर्जिकल तरीकों को अपना पड़ता है.
पटना के डॉ. एके सिंह ने बताया कि एसाइटिस का मतलब पेट में पानी भरना है. इसके कई कारण हो सकते हैं. पेट में पानी भरना ही बड़े बीमारी का लक्षण हो सकता है. लीवर सिरोसिस, टीबी फेल्योर और हृदय रोग के कारण भी होता है. ऐसे मरीजों को अपने स्वास्थ्य के प्रति ज्यादा सजग रहने की जरूरत है. पेट में पानी का पता अल्ट्रासाउंड से डायग्नोसिस कर लगाया जा सकता है.