Kolkata. पश्चिम बंगाल के आलू व्यापारियों ने चेतावनी दी है कि अगर राज्य सरकार दूसरे राज्यों को आलू बेचने पर प्रतिबंध नहीं हटाती है तो वे मंगलवार को हड़ताल पर चले जाएंगे. पश्चिम बंगाल ने हाल ही में स्थानीय बाजारों में कीमतों को नियंत्रित करने के प्रयास में पड़ोसी राज्यों को आलू बेचने पर प्रतिबंध फिर से लगा दिया है. स्थानीय बाजारों में आलू 35-40 रुपये प्रति किलोग्राम पर बिक रहा है. राज्य सरकार के फैसले के बाद, पुलिस ने राज्य से आलू के परिवहन को रोकने के लिए अंतर-राज्यीय सीमाओं पर निगरानी बढ़ा दी है. इसके कारण कई ट्रक सीमा पार से फंसे हुए हैं. प्रगतिशील आलू व्यापारी संघ के सचिव लालू मुखर्जी ने कहा, “अगर सरकार प्रतिबंध नहीं हटाती है तो हम मंगलवार से हड़ताल पर चले जाएंगे.
उन्होंने सरकार के फैसले की आलोचना करते हुए कहा, ऐसे अचानक उठाए गए कदमों से हमारा कारोबार बाधित होता है और भारी नुकसान होता है, क्योंकि हम अपनी प्रतिबद्धताएं पूरी करने में विफल रहते हैं. व्यापारियों और कोल्ड स्टोरेज एसोसिएशनों ने स्थानीय बाजारों में कीमतों को नियंत्रित करने में विफल रहने के लिए राज्य सरकार को दोषी ठहराया और इसके लिए बिचौलियों की मुनाफाखोरी को जिम्मेदार ठहराया.
एक व्यापारी ने सवाल किया, कोलकाता में आलू का थोक मूल्य 27 रुपये प्रति किलो होने के बावजूद खुदरा बिक्री 35-40 रुपये पर कैसे हो रही है? ओडिशा और झारखंड जैसे पड़ोसी राज्य आलू की आपूर्ति के लिए पश्चिम बंगाल पर बहुत अधिक निर्भर हैं. प्रतिबंध लगाए जाने के बाद, इन राज्यों में भी कीमतें बढ़ गई हैं. ओडिशा के खाद्य आपूर्ति एवं उपभोक्ता कल्याण मंत्री कृष्ण चंद्र पात्रा ने शनिवार को आरोप लगाया कि ममता बनर्जी सरकार आलू की आपूर्ति को लेकर राजनीति कर रही है.
उन्होंने कहा, पश्चिम बंगाल मछली और अन्य वस्तुओं के लिए भी दूसरे राज्यों पर निर्भर है. अगर चाहे तो ओडिशा भी मालवाहक वाहनों को अपनी सीमा पर रोक सकता है. लेकिन हम ऐसा नहीं करने जा रहे हैं. उन्होंने कहा, हमने राज्य में उपभोक्ताओं को पर्याप्त मात्रा में आलू उपलब्ध कराने की व्यवस्था की है. उत्तर प्रदेश से आलू की आवक शुरू हो गई है. इसके अलावा, पंजाब से भी आलू मंगाया जा सकता है.
एक अधिकारी ने बताया कि झारखंड में आलू की कीमत में पांच रुपये प्रति किलोग्राम की बढ़ोतरी हुई है. झारखंड भाजपा अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से स्थिति से निपटने के लिए पश्चिम बंगाल सरकार से बातचीत करने का आग्रह किया, क्योंकि राज्य के लोग आलू की बढ़ती कीमतों से परेशान हैं. इस बीच, पश्चिम बंगाल कृषि विपणन बोर्ड ने कोल्ड स्टोरेज में आलू के भंडारण की अवधि एक महीने बढ़ाकर साल के अंत तक कर दी है.