Rairangpur. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू शुक्रवार को अपने गांव उपरबेड़ा और पैतृक घर पहुंचीं. राष्ट्रपति के दौरे से पहले पूरे गांव को सजाया गया था. ओडिशा के मयूरभंज जिले में अपने जन्मस्थान उपरबेड़ा गांव की यात्रा करने के दौरान वह भावुक हो गयीं. उन्होंने कहा कि वह अपने गांव को हमेशा परिवार की तरह माना है. गांव पहुंचते ही राष्ट्रपति उपरबेड़ा सरकारी उच्च प्राथमिक विद्यालय पहुंचीं, जहां उन्होंने शुरुआती पढ़ाई की थी. उनके स्वागत के लिए स्कूल और पूरे गांव को सजाया गया था. शिक्षकों, छात्रों और ग्रामीणों ने उनका स्वागत किया. छात्रों से बातचीत करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि वह 66 साल की हैं और आज भी वह अपने स्कूल और गांव में एक बच्चे की तरह महसूस करती हैं.
उन्हें याद है कि कैसे शिक्षक मिट्टी की दीवारों वाली कक्षाओं में पढ़ाते थे. उन्होंने कहा कि शिक्षक और गांव के लोग उन्हें परिवार के सदस्य की तरह मानते हैं, किसी बाहरी व्यक्ति की तरह नहीं. उन्होंने कहा कि उन्हें अभी भी वे दिन याद हैं, जब वह कक्षा 7 की छात्रवृत्ति परीक्षा की तैयारी कर रही थीं. उनके शिक्षक मदन मोहन सर उन्हें अपने परिवार के पास ले गये और वह परीक्षा की तैयारी के दौरान उनके बच्चों के साथ रहीं. इस गांव और स्कूल से उन्हें जो प्यार और स्नेह मिला है, वह अद्वितीय है. उन्होंने बसंत सर और बिश्वम्भर बाबू जैसे शिक्षकों और कुछ अन्य लोगों को भी याद किया. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का जन्म 20 जून 1958 को बामनघाटी अनुमंडल के उपरबेड़ा गांव में संताली परिवार में हुआ था.
उन्होंने 25 जुलाई 2022 को भारत के राष्ट्रपति का पदभार ग्रहण किया था. राष्ट्रपति ने एक समारोह में अपने शिक्षकों को सम्मानित किया, जिनमें उनके स्कूल के प्रधानाध्यापक बिशेश्वर मोहंता, कक्षा प्रभारी बासुदेव बेहरे और कक्षा 4 और 5 के कक्षा प्रभारी रहे बसंत कुमार गिरि शामिल हैं. उन्होंने उपरबेड़ा उच्च प्राथमिक विद्यालय के लगभग 200 छात्रों को चॉकलेट और टिफिन बॉक्स समेत स्कूल बैग उपहार में दिये. उन्होंने छात्रों से कहा कि वे ईमानदारी से पढ़ाई करें और शिक्षकों, माता-पिता और गांव के बुजुर्गों की सलाह मानें.