- विवादास्पद प्रधान लिपिक रवींद्र कुमार को फिजियोथेरेपी परिषद में किया गया है प्रतिनियुक्त
- प्रतिनियुक्ति रद्द कराने के लिए लग रही जमशेदपुर से रांची की दौड़
जमशेदपुर. झारखंड में स्वास्थ्य विभाग का प्रभार संभालने के बाद ही मंत्री इरफान अंसारी ने महकमे के लोगों को जनता के प्रति जबावदेह बनने की चेतावनी दी और स्पष्ट कर दिया था कि कार्य में लापरवाही और गलत तरीका अपनाने वालों को वह किसी कीमत पर तरह सहन नहीं करेंगे. स्वास्थ्य मंत्री का यह आदेश व चेतावनी जमशेदपुर के स्वास्थ्य महकमे में तत्काल बाद ही बेअसर साबित होने लगा है. इसकी चर्चा डॉक्टरों के साथ ही लिपिक और दूसरे संवर्ग में हो रही है.
जमशेदपुर सिविल सर्जन डॉ साहिर पॉल अपने ही कार्यालय में भ्रष्टाचार की गंगा बहाने के आरोपी प्रधान लिपिक पर इस तरह मेहरबान हैं कि स्वास्थ्य निदेशक के प्रतिनियुक्ति आदेश के एक माह बाद भी लिपिक रवींद्र कुमार को विपरीत नहीं किया है. यहां यह बताना जरूरी है कि सिविल सर्जन कार्यालय का प्रधान लिपिक रवींद्र कुमार लगातार कई वर्षों से एक ही स्थान पर कार्यरत रहे हैं और इस दौरान उन पर वित्तीय अधिनियमितता, कार्य में लापरवाही, अधिकारियों के आदेशों की अवहेलना करने समेत कई आरोप लग चुके हैं.
सिविल सर्जन कार्यालय के प्रधान लिपिक रवींद्र कुमार पर घाटशिला अनुमंडल में प्रतिनियुक्ति के दौरान हाल में ही सीएचओ की बहाली में अवैध उगाही समेत कई गंभीर आरोप लगे. गोपनीय स्तर पर करायी गयी जांच के बाद स्वास्थ्य निदेशक ने तत्काल प्रभाव से रवींद कुमार की प्रतिनियुक्ति झारखंड राज्य फिजियोथेरेपी परिषद में कर दी और तत्काल प्रभाव से उन्हें वहां योगदान देने को कहा. रवींद्र कुमार फिलहाल सिविल सर्जन कार्यालय के प्रधान लिपिक है जिनकी प्रतिनियुक्त घाटशिला अनुमंडल अस्पताल में हैं.
प्रतिनियुक्ति के एक माह बाद भी नहीं किये गये विरमित, नहीं लिया नये स्थान का प्रभार
9 अक्टूबर 2024 को जारी आदेश में स्वास्थ्य निदेशक ने रवींद्र कुमार को तत्काल प्रभाव से झारखंड फिजियोथेरेपी परिषद में प्रभार लेने का आदेश दिया था, यहीं नहीं उन्हें जमशेदपुर से विरमित करने का भी आदेश दिया गया था लेकिन सिविल सर्जन डॉ साहिर पाल ने चुनाव आचार संहिता की आड़ में उन्हें विरमित नहीं कर जमशेदपुर में ही बनाये रखा. आदर्श चुनाव आचार संहिता खत्म होने के बाद भी डॉ साहिर पाल ने रवींद्र कुमार को प्रतिनियुक्ति पर जाने के लिए विरमित नहीं किया है.
स्वास्थ्य महकमे के लोगों का कहना है कि डॉ साहिर पाल और रवींद्र कुमार के बीच गुप्त समझौते के तहत ही उन्हें विरमित नहीं कर प्रतिनियुक्ति आदेश रद्द कराने के लिए अतिरिक्त समय देकर विभाग में भ्रष्टाचार को ही बढ़ावा देने का काम किया जा रहा है. यह काम स्वास्थ्य मंत्री के आदेश की खुली अवहेलना कर किया जा रहा है. यह माना जा रहा है कि जमशेदुपर सिविल सर्जन भी स्वास्थ्य मंत्री के कौम से हैं. कहां जा रहा है कि वह अघोषित रूप से लोगों को बता चुके हे कि उनका नये मंत्री के साथ करीबी जुड़ाव उसी तरह है जैसा पहले के मंत्री के साथ था.
उपायुक्त ने की थी निलंबित करने की अनुशंसा, सिविल सर्जन ने भी की थी टिप्पणी
सीएचओ की बहाली में अवैध उगाही के आरोपों का सामना कर रहे सिविल सर्जन कार्यालय के प्रधान लिपिक रवींद्र कुमार के खिलाफ शिकायतों की लंबी फेहरिस्त स्वास्थ्य निदेशक व मंत्री को भेजी गयी है. 2017 में गबन का आरोप साबित होने और आदेश के बावजूद प्रभार नहीं सौंपने के बाद तत्कालीन उपायुक्त ने लिपिक रवींद्र कुमार के निलंबित की अनुशंसा स्वास्थ्य निदेशक से की थी. यही नहीं 2018 में भी तत्कालीन सिविल सर्जन से स्वास्थ्य निदेशक को पत्र भेजकर यह स्पष्ट किया था लिपिक रवींद्र कुमार पर वित्तीय अनियमितता का आरोप सिद्ध है व अधिकारियों के आदेश की अवहेलना करते हैं. ऐसे में रवींद्र कुमार को प्रधान लिपिक का प्रभार देने से सिविल सर्जन कार्यालय और सदर अस्पताल की विधि व्यवस्था तक प्रभावित हो सकती है. लेकिन उपायुक्त का यह आदेश भी अब तक हवा-हवाई साबित हुआ है. .… जारी …