Jamshedpur. भारतीय संविधान की 8वीं अनुसूची में ‘हो’ भाषा को शामिल कराने की मांग के समर्थन में विभिन्न राज्यों के ‘हो’ समाज के प्रतिनिधिमंडल असम के सीएम हिमंता विश्वशर्मा के नेतृत्व में गृहमंत्री अमित शाह से मिला. आदिवासी हो समाज के 8 सदस्यीय प्रतिनिधि मंडल को केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने ‘हो’ भाषा को भारतीय संविधान की 8वीं अनुसूची में शामिल करने का आश्वासन दिया. प्रतिनिधि मंडल की बैठक सोमवार को दिल्ली स्थित केन्द्रीय गृहमंत्री के आवास में हुई. बैठक में आदिवासी ‘हो’ समाज युवा महासभा और ऑल इंडिया हो लैग्वेज एक्शन कमिटि को गृहमंत्री ने आदिवासी ‘हो’ समाज की वर्षो पुरानी मांग पूरी करने का भरोसा दिया. आदिवासी ‘हो’ समाज युवा महासभा और ऑल इंडिया हो लैग्वेज एक्शन कमिटि के नेतृत्व में लगातार आंदोलन करते आ रहे हैं. इसी क्रम में 14 सितंबर को भी पार्लियामेंट स्ट्रीट, जंतर मंतर, नई दिल्ली में हजारों की संख्या में हो समाज के लोगो ने धरना प्रदर्शन किया और प्रधानमंत्री, गृहमंत्री एवं राष्ट्रपति को माँग-पत्र समर्पित किया. भारत में 50 लाख से अधिक लोग हैं ‘हो’ भाषा-भाषी
हो भाषा को पूरे भारत वर्ष में 50 लाख से अधिक लोग अपनी रोजमर्रा की जिन्दगी में उपयोग करते हैं. झारखंड में 20 लाख, ओडिसा में 14 लाख, आसम में 7 लाख, पश्चिम बंगाल में 5 लाख, छतीसगढ में 50 हजार मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार, तेलंगाना, तामिलनाडु, महाराष्ट्र, नई दिल्ली सहित देश के अन्य राज्यों में 10 लाख से अधिक ‘हो’ भाषा-भाषी हैैं.
राज्य सरकार से प्राप्त है ‘हो’ भाषा को मान्यता
झारखंड सरकार ने 2011 में हो को राज्य की दूसरी राजकीय भाषा के रूप में मान्यता दिया जा चुका है. कार्मिक, प्रशासनिक, सुधार तथा राजभाषा विभाग, झारखंड सरकार ने 2003 में ‘हो’ भाषा को 8वीं अनुसूची शामिल करने की सिफारिश की है. झारखंड और ओड़िशा के मुख्यमंत्री ने भी ‘हो’ भाषा को 8 वीं अनुसूची में शामिल करने के लिए भारत सरकार को अनुशंसा पत्र भेज चुके हैं. वहीं ओड़िशा सरकार, आदिवासी कल्याण विभाग की ओर से विभागीय तथा जनजाति सलाहकार परिषद ने ‘हो’ भाषा को भारतीय संविधान की 8वीं अनुसूची में शामिल करने की सिफारिश की है.