Patna. बिहार में जीवित्पुत्रिका व्रत त्योहार के दौरान अलग-अलग घटनाओं में नदियों और तालाबों में पवित्र स्नान करते समय 37 बच्चों समेत 46 लोगों की डूबने से मौत हो गई. राज्य सरकार ने बृहस्पतिवार को एक बयान में यह जानकारी दी. ये घटनाएं बुधवार को त्योहार के दौरान राज्य के 15 जिलों में हुईं. राज्य आपदा प्रबंधन विभाग (डीएमडी) द्वारा बृहस्पतिवार को जारी एक बयान के अनुसार, ‘कल राज्य में मनाए गए जीवित्पुत्रिका पर्व के अवसर पर पवित्र स्नान करते समय 46 लोगों की डूबने से मौत हो गई. सभी शव बरामद कर लिए गए हैं.
बिहार में बड़ी संख्या में लोग जीवित्पुत्रिका त्योहार के आखिरी दिन नदियों में स्नान करते हैं. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के निर्देश के बाद डीएमडी ने मृतकों के परिजनों को 4-4 लाख रुपये की अनुग्रह राशि देने की प्रक्रिया शुरू कर दी है. बयान में कहा गया है कि आठ मृतकों के परिजनों को पहले ही अनुग्रह राशि दे दी गई है. जिन जिलों में यह हादसे हुए, उनमें पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंपारण, नालंदा, औरंगाबाद, कैमूर, बक्सर, सीवान, रोहतास, सारण, पटना, वैशाली, मुजफ्फरपुर, समस्तीपुर, गोपालगंज और अरवल शामिल हैं. औरंगाबाद जिले में बुधवार को दो अलग-अलग प्रखंडों में तालाबों में नहाने के दौरान सबसे ज्यादा आठ लोगों की मौत हुई है.
औरंगाबाद के जिलाधिकारी श्रीकांत शास्त्री ने ‘पीटीआई-भाषा’ से बात करते हुए कहा, ‘‘जिला प्रशासन जीवित्पुत्रिका त्योहार के दौरान घाटों पर स्नान करने वाले सभी लोगों के लिए पर्याप्त व्यवस्था करता है. समस्या तब पैदा होती है जब लोग स्थानीय स्तर पर उन घाटों पर जाते हैं जिन्हें प्रशासन द्वारा तैयार नहीं किया जाता है. सारण के जिलाधिकारी अमन समीर ने भी इसी तरह की राय दोहराते हुए ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘कल सारण में चार लोगों की मौत हो गई… घटनाएं उन घाटों पर हुईं जिन्हें जिला प्रशासन द्वारा तैयार नहीं किया गया था. हम लोगों से अनुरोध करते रहे हैं कि वे जिला प्रशासन द्वारा तैयार घाटों पर ही जाएं.”