New Delhi. मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) वी अनंत नागेश्वरन ने भारतीय उद्योग जगत को सलाह दी कि वह मुद्रा में कमजोरी को ‘सुरक्षा कवच’ के रूप में नहीं ले, क्योंकि यह उत्पादकता और शोध एवं विकास में निवेश का विकल्प नहीं है. कमजोर मुद्रा, निर्यातकों के लिए अच्छी हो सकती है, जिससे उनके उत्पाद विदेश में खरीदारों के लिए अपेक्षाकृत कम महंगे हो सकते हैं. नागेश्वरन ने कहा कि कमजोर मुद्रा पर निर्भरता निर्यात को बढ़ावा देने में सहायक नहीं होनी चाहिए, “यदि कुछ हो तो, इसे नीतिगत माध्यम का हिस्सा नहीं होना चाहिए. इसे प्रासंगिक तरीके से तैनात किया जाना चाहिए, उत्पादकता और शोध एवं विकास में निवेश या गुणवत्ता के विकल्प के रूप में नहीं.’’
उन्होंने औद्योगिक विकास अध्ययन संस्थान (आईएसआईडी) द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में कहा, “हमें प्रतिस्पर्धात्मकता में बदलाव के बारे में नहीं सोचना चाहिए, जिसमें लगातार यह उम्मीद की जाती है कि कमजोर मुद्रा हमें बचा लेगी.
उन्होंने कहा कि चीन कमजोर मुद्रा पर निर्भर था, लेकिन नई सदी में वह उत्पादकता में उछाल से आगे बढ़ा है. सीईए ने कहा, भारत सहित कई अन्य विकासशील देशों में, कमजोर विनिमय दर वास्तव में उत्पादकता की कमी के लिए एक सुरक्षा कवच बन गई है. नागेश्वरन ने कहा, इसका इस्तेमाल हमारी अक्षमताओं को छिपाने के लिए किया गया. ऐसा नहीं होना चाहिए. उन्होंने बताया कि चीन की विनिमय दर नीति ने प्रतिस्पर्धात्मकता को और बढ़ा दिया है, जबकि उसका घरेलू उत्पादकता का लाभ पहले ही उसके निर्यात में दिख रहा है. नागेश्वरन ने कहा कि वहीं दूसरी ओर पूर्व में हम कमजोर विनिमय दर की ‘आड़’ लेते रहे हैं.