New Delhi. केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की एक विशेष अदालत ने झारखंड में बृंदा, सिसई और मेराल कोयला ब्लॉक के आवंटन से संबंधित कोयला घोटाले के मामले में अभिजीत इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड के प्रबंध निदेशक मनोज कुमार जायसवाल और उसके पूर्व निदेशक रमेश कुमार जायसवाल को सोमवार को दोषी ठहराया. एजेंसी की ओर से जारी बयान के अनुसार, 2016 में दर्ज मामले में सीबीआई ने आरोप लगाया था कि कंपनी ने अपनी वित्तीय स्थिति, अपने प्रस्तावित संयंत्र के लिए भूमि अधिग्रहण और अन्य संबंधित दावों को गलत तरीके से पेश कर कोयला ब्लॉक हासिल किए.
सीबीआई ने कहा कि कोयला ब्लॉक के आवंटन के लिए भारत सरकार के इस्पात मंत्रालय की सिफारिश हासिल करने के लिए जाली दस्तावेजों का इस्तेमाल किया गया था.
विशेष न्यायाधीश अरुण भारद्वाज ने नागपुर स्थित अभिजीत इन्फ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड (एआईपीएल), इसके प्रबंध निदेशक मनोज कुमार जायसवाल और पूर्व निदेशक रमेश कुमार जायसवाल को धोखाधड़ी, आपराधिक साजिश और जाली दस्तावेजों को असली के रूप में पेश करने का दोषी ठहराया. उनकी सजा का एलान बाद में किया जाएगा.
कोयला ब्लॉक हासिल करने के लिए झारखंड के हजारीबाग में निजी भूमि की खरीद, प्रस्तावित अंतिम उपयोग संयंत्र के लिए मशीनरी की खरीद और बैंकों के साथ वित्तीय गठजोड़ से संबंधित जाली दस्तावेजों की प्रति प्रस्तुत की गई थी.
सीबीआई के प्रवक्ता ने कहा, ‘इन जाली दस्तावेजों का इस्तेमाल कोयला ब्लॉक के आवंटन के लिए भारत सरकार के इस्पात मंत्रालय की सिफारिश हासिल करने के लिए किया गया था. इस सिफारिश के आधार पर कोयला मंत्रालय ने 25 जून, 2005 को अभिजीत इन्फ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड (अब अभिजीत इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड) को बृंदा, सिसई और मेराल कोयला ब्लॉक आवंटित किए. इस तरह कंपनी ने कोयला मंत्रालय/सरकारी खजाने को चूना लगाया.’’
सीबीआई ने 29 अक्टूबर, 2020 को आरोपियों के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया गया. सीबीआई ने मामला छह जनवरी, 2016 को दर्ज किया था.