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चुनाव आयोग ने मंजूनाथ भजंत्री पर कार्रवाई का दिया आदेश, 15 दिनों में मांगी कार्रवाई की रिपोर्ट, रांची DC बनाने पर सांसद निशिकांत दुबे ने भी उठाए थे सवाल

Ranchi.चुनाव आयोग ने मंजूनाथ भजंत्री को रांची डीसी सह जिला निर्वाचन पदाधिकारी के पद पर पदस्थापित करने के आदेश के हाईकोर्ट के फैसले का उल्लंघन बताया है. आयोग ने मुख्य सचिव को पत्र लिख कर छह दिसंबर, 2021 के आदेश का अनुपालन करने का कहा है. साथ ही 15 दिनों में कार्रवाई रिपोर्ट आयोग को भेजने का आदेश दिया. दरअसल, इसको लेकर राजनीति भी तेज हो गई है. गोड्डा से भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट कर लिखा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन जी, झारखंड हाईकोर्ट ने जिस हंसेडी अधिकारी (मंजूनाथ भजंत्री) को ECI के आदेश के अनुसार सजा देने के लिए कहा, आपने आज मंजूनाथ को रांची उपायुक्त बनाकर क़ानून की धज्जी उड़ा दी. वैसे इसके भ्रष्टाचार की जांच, देवघर के आदिवासी ज़मीन को बेचने की जांच जारी रहेगा.

आयोग ने छह दिसंबर, 2021 को आदेश जारी कर देवघर के तत्कालीन उपायुक्त मंजूनाथ भजंत्री को पद से हटाने, विभागीय कार्यवाही करने और आयोग की अनुमति के बिना चुनाव कार्य से जुड़े पद पर पदस्थापित नहीं करने का आदेश दिया था. चुनाव आयोग बनाम मंजूनाथ भजंत्री व अन्य के मामले में मुख्य सचिव को यह पत्र लिखा गया है. कहा गया है कि मधुपुर उप चुनाव में तत्कालीन उपायुक्त द्वारा आयोग के वोटर टर्न आउट एप और प्रेस कांफ्रेंस में अलग अलग आंकड़ा पेश किये जाने की वजह से उन्हें 26 अप्रैल 2021 को उपायुक्त के पद से हटा दिया गया था. चुनाव आचार संहिता समाप्त होने के बाद सरकार ने उन्हें फिर से देवघर उपायुक्त के पद पर पदस्थापित करने का आदेश दिया था. इसके करीब छह महीने बाद मुख्य निर्वाची अधिकारी (सीइओ) ने आयोग को रिपोर्ट भेज कर यह जानकारी दी कि उपायुक्त ने चुनाव आचार संहिता खत्म होने के बाद आचार संहिता उल्लंघन के आरोप में सांसद निशिकांत दूबे के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है. आयोग ने इस पर उपायुक्त से स्पष्टीकरण पूछा. जवाब संतोषप्रद नहीं होने की वजह से छह दिसंबर, 2021 को आयोग ने उपायुक्त को हटाने और भविष्य में आयोग की अनुमति के बिना चुनाव से जुड़े काम में पदस्थापित नहीं करने का आदेश दिया. पर सरकार ने उन्हें पद से नहीं हटाया.

23 दिसंबर, 2021 को कार्मिक विभाग की ओर से आयोग के एक पत्र लिख कर कहा गया कि आयोग अपना आदेश वापस ले, क्योंकि आचार संहिता समाप्त होने के बाद इस तरह का आदेश देने का अधिकार आयोग को नहीं है. इस तरह के आदेश से राज्य की संप्रभुता प्रभावित होती है. मुख्य सचिव के राज्य से बाहर होने के आधार पर कार्मिक ने यह पत्र लिखा था. आयोग ने 15 दिसंबर, 2022 को पत्र भेज कर इस मामले में मुख्य सचिव की राय मांगी, जो नहीं मिली. 26 दिसंबर को मंजूनाथ भजंत्री से जिला निर्वाचन पदाधिकारी का काम वापस लेते हुए डीडीसी को सौंप दिया गया. इस बीच मंजूनाथ भजंत्री ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर (5716/22) चुनाव आयोग के छह दिसंबर 2021 के आदेश को चुनौती दी. इसमें चुनाव आयोग के आदेश के नियम विरुद्ध बताया गया. सिंगल बेंच ने सुनवाई के बाद भजंत्री की याचिका को स्वीकार कर लिया. इस फैसले के खिलाफ चुनाव आयोग ने हाईकोर्ट में एलपीए (244/24) दायर की. हाईकोर्ट ने सुनवाई के बाद 30 सितंबर 2024 को अपना फैसला सुनाते हुए चुनाव आयोग के आदेश को सही करार दिया. न्यायालय ने अपने आदेश में कहा है कि आयोग का निर्देश मानना राज्य के लिए बाध्यकारी है. आयोग का आदेश नहीं मानना संविधान के मूल ढांचे पर प्रहार करने जैसा है.

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