पलामू. संसदीय कार्य एवं वित्त मंत्री राधा कृष्ण किशोर ने मेदिनीनगर सर्किट हाउस में मेदिनी राय मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल को लेकर आयोजित बैठक में सफाई पर नाराजगी जतायी. 300 बेड वाले एमआरएमसीएच में 135 सफाई कर्मियों को तीन शिफ्ट में लगाना है लेकिन यहां मात्र 51 कर्मी ही कार्यरत हैं. दिसंबर 2024 तक 47 कर्मियों की ही हाजिरी बनी पाई गई.
मंत्री ने मैनपॉवर देने वाली कंपनी बालाजी को तीन दिनों के भीतर सरकार के एग्रीमेंट के अनुसार 135 कर्मियों को एमआरएमसीएच में लगाने का निर्देश दिया. मंत्री ने यह भी कहा कि एक जनवरी से सारे कर्मियों की अटेंडेंस बायोमेट्रिक बनेगी और उसके अनुसार भुगतान किया जाएगा. कहा कि जो 47 कर्मी पाए गए, उन्हें भी उचित मजदूरी नहीं मिल रही है. इस मामले में श्रम अधीक्षक को जांच कर कार्रवाई करने का निर्देश दिया गया.
उल्लेखनीय है कि वित्त मंत्री ने कुछ दिन पहले एमआरएमसीएच का औचक निरीक्षण किया था और कई मामलों में सुधार करने के लिए एक सप्ताह का समय दिया था. इसी के आलोक में मंत्री ने जिले के सिविल सर्जन डॉ अनिल कुमार, डॉक्टर आरके रंजन, एमआरएमसीएच के प्रिंसिपल, नगर आयुक्त मोहम्मद जावेद हुसैन, एडिशनल कलेक्टर, श्रम अधीक्षक और बालाजी कंपनी के सुपरवाइजर के साथ बैठक की.
मंत्री ने यह भी कहा कि बैठक के दौरान सामने आया कि जून 2024 से आयुष्मान में भुगतान नहीं हो पाया है. इस कारण आयुष्मान के रोगियों को स्वास्थ्य सुविधा नहीं मिल पा रही है. रांची जाकर आयुष्मान के अधिकारियों से बात की जाएगी और एक सप्ताह के भीतर भुगतान करने की कोशिश होगी, ताकि आयुष्मान कार्ड के आधार पर इलाज कराने वाले रोगियों को आर्थिक लाभ मिल सके.
वित्त मंत्री ने एमआरएमसीएच परिसर में पुलिस फोर्स की तैनाती करने का निर्देश दिया है. पुलिस से रिलेटेड चाहे पोस्टमार्टम का मामला हो या फिर डॉक्टर को सुरक्षा देने का, सभी में अस्पताल में कार्यरत पुलिसकर्मी ही कार्य करेंगे. अस्पतालकर्मियों को पुलिस केस में थाने का चक्कर नहीं लगाना पड़ेगा. अस्पताल में पुलिस की मौजूदगी के लिए मंत्री ने पुलिस अधीक्षक रीष्मा रमेशन से बात की और जल्द से जल्द पदाधिकारी और जवानों की तैनाती करने का निर्देश दिया. पुलिस के रहने के लिए भी व्यवस्था करने को भी कहा गया है.
मंत्री ने जिले के सिविल सर्जन डॉक्टर अनिल को सामुदायिक स्वास्थ्य, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र एवं उप स्वास्थ्य केंद्र में भी मैन पावर के अनुसार सप्ताह में एक या दो दिन जरूर डॉक्टरों की तैनाती करने का निर्देश दिया गया है, ताकि स्थानीय स्तर पर लोगों का इलाज हो सके.