- हाइकोर्ट ने 22 जून तक लिखित बहस प्रस्तुत करने का निर्देश दिया
रांची. झारखंड विधानसभा में हुई नियुक्तियों में गड़बड़ी को लेकर झारखंड हाइकोर्ट ने जनहित याचिका पर सुनवाई की. सभी पक्षों की दलील पूरी होने के बाद खंडपीठ ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया. साथ ही संबंधित पक्षों को 22 जून तक लिखित बहस प्रस्तुत करने को कहा. मामले में जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद व जस्टिस अरुण कुमार राय की खंडपीठ ने सभी का पक्ष सुना. प्रार्थी की दलील का विरोध करते हुए राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता राजीव रंजन ने कहा कि एक सदस्यीय जस्टिस विक्रमादित्य प्रसाद आयोग की रिपोर्ट को कानूनी रूप से रिपोर्ट नहीं माना जा सकता है.
आयोग की रिपोर्ट को राज्य सरकार के समक्ष प्रस्तुत किया जाना चाहिए था, लेकिन इसे सीधे राज्यपाल को दिया गया. राज्यपाल की ओर से जस्टिस विक्रमादित्य प्रसाद आयोग की रिपोर्ट सरकार को नहीं मिली. ऐसे में विधानसभा के पटल पर छह माह के अंदर रिपोर्ट को नहीं रखा जा सका. जस्टिस विक्रमादित्य प्रसाद आयोग की रिपोर्ट में कई त्रुटियां थीं तथा कई अनुशंसाएं भी अस्पष्ट थीं. इन त्रुटियों को देखने के लिए सेवानिवृत्त जस्टिस एसजे मुखोपाध्याय की अध्यक्षता में एक अलग न्यायिक आयोग बनाना पड़ा. प्रतिवादियों की ओर से प्रार्थी के क्रेडेंशियल पर भी सवाल उठाया गया.