Ottawa. कनाडा ने पहली बार भारत का नाम साइबर खतरा पैदा करने वाले देशों की सूची में शामिल किया है. इसके जरिये उसने यह संकेत देने की कोशिश की है कि (भारत) सरकार द्वारा प्रायोजित तत्वों के माध्यम से ओटावा के खिलाफ जासूसी किए जाने की संभावना है. दोनों देशों के मध्य जारी कूटनीतिक विवाद के बीच, कनाडा की राष्ट्रीय साइबर खतरा आकलन 2025-2026 (एनसीटीए 2025-2026) रिपोर्ट में चीन, रूस, ईरान और उत्तर कोरिया के बाद भारत को पांचवें स्थान पर रखा गया है. यह घटनाक्रम ऐसे समय में हुआ है जब कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने एक साल पहले कहा था कि कनाडा के पास इस बारे में विश्वसनीय सबूत हैं कि जून 2023 में ब्रिटिश कोलंबिया में कनाडाई सिख कार्यकर्ता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत सरकार के एजेंट शामिल थे.
भारत ने इस आरोप को बेतुका करार देते हुए खारिज किया था और इस आरोप से दोनों देशों के बीच संबंध खराब हो गए. इधर, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह पर कनाडा की उप-विदेश मंत्री के विवादित बयान को लेकर भारत ने शनिवार को सख्त रुख अपनाया. विदेश मंत्रालय ने बयान को बेतुका और निराधार करार दिया और कड़े शब्दों में उसके प्रति विरोध दर्ज कराया. भारत ने इसके साथ ही कनाडाई उच्चायोग के प्रतिनिधि को तलब किया गया और देश की ओर से उन्हें नोट हैंडओवर किया गया और कड़ी आपत्ति जतायी गयी. विदेश मंत्रालय ने कहा कि कनाडा लगातार भारत की वैश्विक स्तर पर छवि खराब करने के अनर्गल प्रयास कर रहा है. इसको लेकर भारत ने कनाडा को गंभीर परिणाम भुगतने की कड़ी चेतावनी दी है.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि कनाडा सरकार के आला अधिकारियों ने भारत को बदनाम करने और अन्य देशों को प्रभावित करने की एक सोझी-समझी रणनीति के तहत अंतरराष्ट्रीय मीडिया को जानबूझकर निराधार आक्षेप लीक किये. इसके पीछे कनाडा की राष्ट्रीय सुरक्षा और खुफिया सलाहकार नथाली ड्रोइन, उप-विदेश मंत्री डेविड मॉरीसन व कनाडा के संसद की राष्ट्रीय सुरक्षा समिति का हाथ था. रिपोर्ट में आरोप था कि कनाडा में खालिस्तानी अलगाववादियों को निशाना बनाने के अभियान के पीछे भारत के गृह मंत्री शाह का हाथ था. डेविड मॉरीसन ने एक सवाल के जवाब में कहा कि उन्होंने वाशिंगटन पोस्ट को शाह के नाम की पुष्टि की है.