
Jamshedpur. भुइयांडीह निर्मलनगर स्थित होटल अतिथि भवन को सील किए जाने के मामले में झारखंड हाइकोर्ट ने जमशेदपुर पुलिस को कड़ी फटकार लगायी है. दरअसल, जस्टिस संजय प्रसाद की एकल पीठ ने होटल की मालकिन अंजना भुइयां (पूर्व मंत्री दुलाल भुइयां की पत्नी) द्वारा दायर रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए पुलिस की कार्रवाई पर कड़ी फटकार लगायी. अदालत ने टिप्पणी की कि पुलिस इस पूरे प्रकरण में कानूनी प्रक्रिया का पालन करने में पूरी तरह विफल रही है, ऐसे में कानून-व्यवस्था बनाए रखने की उनकी क्षमता पर प्रश्नचिह्न लगता है. अदालत ने झारखंड के पुलिस महानिदेशक, जमशेदपुर के वरीय पुलिस अधीक्षक और सीतारामडेर थाना प्रभारी बिनय प्रसाद मंडल को 26 नवंबर को सशरीर उपस्थित होकर कारण बताने का आदेश दिया है.
यह है मामला
प्रकरण की शुरुआत 12 जुलाई 2024 की रात हुई, जब धालभूम की अनुमंडल पदाधिकारी पारुल सिंह, डीएसपी निरंजन कुमार तथा सीतारामडेरा थाना पुलिस की टीम ने अचानक होटल अतिथि भवन में छापेमारी की थी. पुलिस ने होटल के तीन कमरों को सील कर दिया और वहाँ ठहरे पाँच युवक-युवतियों को हिरासत में लिया. बाद में सभी को पीआर बॉन्ड पर छोड़ दिया गया.

चौंकाने वाली बात यह कि इस छापेमारी के 40 दिन बाद, 17 अगस्त 2024 को सीतारामडेरा थाना में कांड संख्या 115/2024 दर्ज किया गया. इसमें होटल मालिक अंजना भुइयां को मुख्य आरोपी बनाया गया तथा NDPS Act की धारा 20(ii)/27 और अनैतिक व्यापार निवारण अधिनियम की धारा 3/7 के तहत मामला दर्ज किया गया. पुलिस का दावा है कि सील किए गए कमरों से ब्राउन शुगर और गांजा बरामद हुआ था. अंजना भुइयां की ओर से अधिवक्ता ज़ैद इमाम ने पुलिस की भूमिका को पूरी तरह नियम विरुद्ध बताते हुए अदालत में तीखी बहस की.
उन्होंने देर से प्राथमिकी दर्ज करने, गिरफ्तारी न करने और प्रक्रिया का पालन न करने को गंभीर चूक बताया. अदालत ने राज्य सरकार का पक्ष रख रहे सहायक महाधिवक्ता आशुतोष आनंद से पूछा कि यदि होटल में अनैतिक गतिविधियाँ और मादक पदार्थ बरामद हुए थे, तो हिरासत में लिए गए लोगों को केवल पीआर बॉन्ड पर क्यों छोड़ दिया गया? अदालत ने इसे कानून-व्यवस्था में भारी लापरवाही करार देते हुए स्थानीय पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए. गौरतलब है कि अंजना भुइयां को इस मामले में झारखंड उच्च न्यायालय से पहले ही अग्रिम जमानत मिल चुकी है.



