जमशेदपुर. टाटा स्टील परिवार ने सर दोराबजी टाटा को उनकी 165वीं पर श्रद्धांजलि दी और समारोह आयोजित कर उनकी कृतियों को याद किया. कीनन स्टेडियम के सामने सर दोराबजी टाटा पार्क में आयोजित विशेष श्रद्धांजलि सभा में यूनियन अध्यक्ष संजीव कुमार चौधरी टुन्नु ने यूनियन के विकास में सर दोराबजी टाटा की भूमिका को याद किया और कहा कि उन्होंने मजदूरों की समस्याओं को समझा था. दोराबजी टाटा का खेलों के प्रति लगाव ही ही था कि उन्होंने खेलों और पार्कों के लिए स्थान देने में कंपनी की भूमिका अग्रणी बनायी.
भारत को ओलंपिक में भाग लेते देखने की उनकी इच्छा ने 1920 में एंटवर्प ओलंपिक खेलों के लिए भारतीय एथलीटों को प्रायोजित करने की पहल की. उनके प्रयासों के परिणामस्वरूप, 1924 के पेरिस ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित हुआ और उन्हें अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति में नियुक्त किया गया. वे भारतीय ओलंपिक संघ के पहले अध्यक्ष भी बने. टाटा स्टील आज भी खेलों को राष्ट्र निर्माण का एक महत्वपूर्ण अंग मानते हुए इस विरासत को आगे बढ़ा रही है. फुटबॉल, तीरंदाजी, एथलेटिक्स, हॉकी, और स्पोर्ट क्लाइम्बिंग जैसे विविध खेलों के लिए स्थापित अकादमियों के माध्यम से, हम पूरे भारत में खेल प्रतिभाओं को प्रोत्साहित कर रहे हैं. वीपी चैतन्य भानु ने सर दोराबजी टाटा के भारतीय औद्योगीकरण और राष्ट्र के समग्र विकास में उनके अमूल्य योगदान को याद किया. बताया कि किस प्रकार संकट के दौर में सर दोराबजी टाटा और मेहरबाई टाटा ने टाटा स्टील को पुनर्जीवित करने के लिए अपनी पूरी संपत्ति को समर्पित कर दिया था.
इस मौके पर टाटा स्टील के वीपी चैतन्य भानु, पूर्व डिप्टी एमडी डॉ टी मुखर्जी, के अलावा कंपनी के वरिष्ठ अधिकारी, डेजी ईरानी, यूनियन के पदाधिकारी व शहर के लोग भी उपस्थित रहे.